Friday, July 13, 2012

मुस्कराना सीख लो

         मुस्कराना सीख लो

जिंदगी में हर ख़ुशी मिल जायेगी,

                        आप थोडा  मुस्कराना  सीख लो
रूठ जाना तो बहुत आसन है,
                      जरा रूठों  को मनाना   सीख लो
जिंदगी  है चार दिन की चांदनी,
                       ढूंढना    अपना ठिकाना  सीख लो
अँधेरे में रास्ते मिल जायेंगे,
                      बस जरा  अटकल लगाना  सीख लो
विफलताएं सिखाती है बहुत कुछ,
                    ठोकरों से  सीख पाना,    सीख लो
सफलता मिल जाये इतराओ नहीं,
                     सफलता को तुम पचाना  सीख लो
कौन जाने ,नज़र कब,किसकी लगे,
                     नम्रता सबको दिखाना सीख लो
बुजुर्गों के पाँव में ही स्वर्ग है,
                     करो सेवा,मेवा पाना सीख लो
सैकड़ों आशिषें हैं बिखरी पड़ी,
                    जरा झुक कर ,तुम उठाना सीख  लो
जिंदगी एक नियामत बन जायेगी,
                    बस सभी का  प्यार पाना  सीख लो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'



पति -दो दृष्टिकोण

         पति -दो दृष्टिकोण
      1
पति वो प्राणी है,
जो नहीं होता बीबी का नौकर
क्योंकि नौकर,
कब रहा है किसी का होकर
जरा सी ज्यादा पगार मिली,
दूसरे   का हो जाता है
पति तो प्रेम में अभिभूत,
वो शरीफ बंदा है,
जो उमर भर ,
बीबी के हुकुम बजाता है
          २
भगवान वो शक्ति है
जो इस संसार को चलाये रखती है
हम सबको है इस बात का ज्ञान
कि भावनाओं के भूखे है भगवान
हम भगवान को प्रसाद चढाते है
नाम उनका होता है पर खुद खाते है
वो मिटटी का माधो सा,मूर्ती बना,
 बिराजमान रहता है मंदिर के अन्दर
और सभी काम होते है,
उसका नाम लेकर
पति कि गती भी,
ऐसी ही होती है अक्सर
वो भी मूर्ती बना ,
चुपचाप रहता है घर के अन्दर
और उसकी पत्नी,पुजारन बनी,
उसका नाम लेकर ,
घर  का सब काम काज संभालती है
ठीक हो तो यश खुद लेती है,
गलत हो तो जिम्मेदारी उस पर डालती है
और पति मौन,
सब कुछ सहता जाता है
फिर भी मुस्कराता है
इसीलिये पति को परमेश्वर कहा जाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'