Sunday, September 21, 2014

मगर हम किस से कहें

      मगर हम किस से कहें

रोज वो हमको सताते ,मगर हम किस से कहें
छेड़तें है आते जाते   ,मगर हम  किस से  कहें
दिखा  कर के लुभाने वाली अदाएं रात दिन ,
छेड़तें है  मुस्कराते ,मगर हम किस से कहें
लहराते चुम्बन हवा में ,कभी करते गुदगुदी ,
हमारे दिल को जलाते,मगर हम किस से कहें
पङ गयी आदत हमें है उनके इस व्यवहार की,
 सहते है हम मुस्कराते  ,मगर हम किस से कहें 
क्या बनाया इश्क़ तूने,क्या बनाई औरतें,
जाल में हम फसे जाते ,मगर हम किस से कहें
चाहते हम उनको इतना ,बिना उनके एक पल ,
भी जुदा  हम रह न पाते,मगर हम किस से कहें
उनकी मीठीमीठी बातें,मन में है रस घोलती ,
हम भी झट से पिघल जाते ,मगर हम किस से कहें
सामने आँखों के आती,उनकी सूरत चुलबुली ,
ठीकसे हम सो न पाते ,मगर हम  किस से कहें

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

धीरज का फल

         धीरज का फल

हमने की ता उम्र कोशिश ,आप मुस्काते  रहें ,
         आपको खुश रखना होता ,कब भला आसान है
कुछ न कुछ तो नुस्ख लेते ढूंढ,गलती बताते ,
          हमेशा आलोचना करना तुम्हारा काम है
उमर के संग हम भी बदले और बदले आप भी ,
           मिल रहे सुर,एक दूजे का  बढ़ा सन्मान है
आप अब हमको सराहते ,करते है तारीफ़ भी,
          ये हमारी तपस्या और  धैर्य का   परिणाम है

घोटू  

कल की यादें-आज की बातें

             कल की यादें-आज की बातें

                             १
याद हमको आते वो दिन ,हम बड़े दिलफेंक थे
दिखने में लगते थे असली ,पर असल में 'फेक'थे
जवानी में खूब जम कर हमने मारी मस्तियाँ ,
अब तो टीवी  हो या बीबी,  दूर से बस  देखते
                    २
हो रही मुश्किल बहुत अब ,कैसे टाइम 'किल'करें
व्यस्त है लाइन सभी की, किसे 'मोबाइल ' करें
इस तरह के बुढ़ापे में ,हो गए हालात  है,
गया 'थ्रिल',तन शिथिल ,अब क्या किसीसे हम मिल करें
                   ३
अपने  बूढ़े दोस्तों संग ,थोड़ी गप्पें हाँक लो
बैठ कर के ,गैलरी में,थोड़ा नीचे झाँक लो
'एक्स्ट्रा करिक्यूलियर एक्टिविटी' के नाम पर,
पड़ोसन क्या कर रही,नज़रें बचा कर ताक लो

घोटू

दुनियादारी

             दुनियादारी            

तुम मेरी तारीफ़ करो और मैं तारीफ़ करूँ  तुम्हारी
यही  सफलता मूलमंत्र है,यही कहाती  दुनिया दारी

मैं तारीफ़ के  पढूं कसीदे ,और आप मेरे गुण  गाओ
जब भी कोई आयोजन हो,मैं तुमको,तुम मुझे बुलाओ
एक दूजे के चमचे बन कर ,हम तारीफों के पुल बांधें ,
रेती में सीमेंट डाल कम ,प्रॉफिट बांटे ,आधे ,आधे
ये सब हम तुम क्यों न करें ,जब ये करती है दुनिया सारी
यही सफलता मूलमंत्र है ,यही कहांती दुनियादारी 

मेरी उंगली रस में डूबे ,मैं रसगुल्ला तुम्हे खिलाऊं
और स्वाद फिर रसगुल्ले का,तुम भी पाओ,मैं भी पाऊं
हुई ऊँट के घर पर शादी, गर्दभ आये गीत  सुनाने
कितना मधुर आपका स्वर है ,लगे ऊँटजी ,उन्हें सराहने
और  गधेजी कहे ऊँट से ,तुम्हारी सूरत अति  प्यारी 
यही सफलता मूलमंत्र है , यही कहाती  दुनियादारी

रोटी हित यदि लड़े बिल्लियाँ ,तो अक्सर ये देखा जाता
न्याय दिलाने वाला बन्दर ,सारी रोटी खुद खा जाता
कौवे के मुख में रोटी हो ,खड़ी लोमड़ी ,भूखी,गुमसुम
करती है तारीफ़  काग की ,कितना  अच्छा गाते हो तुम
न दो  लोमड़ी ,ना बन्दर को,खुद ही खाओ  रोटी  सारी
यही सफलता मूलमंत्र है ,यही कहांती  दुनिया दारी

मदन मोहन  बाहेती'घोटू'