Saturday, May 7, 2011

मातृदिवस

मातृदिवस
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 मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस
 रोज करो सेवा माता की    ,रोज  मनाओ   मातृदिवस
माँ झरना आशिवादों का ,  माँ ममता का  सागर है
माँ सुरसरी स्नेह  की है, कोई न माँ से बढ़  कर है
माता का ही तो प्रसाद  है,ये तुम्हारा तन ,मन ,धन
जन्मदायिनी ,पालक, पोषक,सब माता है करो नमन
माँ का ऋण न चुका पाओगे,कितनी ही सेवा करलो
खुश किस्मत हो ,माँ है, आशीर्वादों  से झोली  भरलो
रोज करो सेवा माता  की ,रोज मनाओ मातृदिवस
मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

 

कारण -गरमी का

कारण -गरमी  का
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चार छुट्टियाँ मिलाती,मर्दों को महीने में
औरतें अधिकतर ही ,छुट्टियाँ मनाती है
तारे भी कई बार ,तड़ी मार देतें है,
अमावास को चंदा की भी छुट्टी  आती है
चार माह बरसते है ,बरस भर में बदल कुल,
और हवा अक्सर ही ,छुट्टी कर जाती  है
काम बिना छुट्टी कर,सूरज जब मन ही मन,
जलता है ,तो किरणों में ,फिर गरमी आती है

मदन मोहन बहेती 'घोटू'