Saturday, April 17, 2021

लालच या बहानेबाजी

कहने को तो डाइटिंग पर चल रहे ,पर मिला न्योता ,
मुफ्त में मिल रही दावत ,चलो ज्यादा ठूस ही ले
सूख नीरस हुआ गन्ना ,जानते हम रस नहीं है ,
मुफ्त में पर मिल रहा है ,चलो थोड़ा चूस ही लें
पेट थोड़ा लूज़ है पर ,सालियान इसरार करती ,
ये भी खा लो ,वो भी खा लो ,टाल दें कैसे अनुग्रह
यार दोस्तों ने पिला दी ,हमें मालूम ,चढ़ गयी है ,
पेग पर हम पेग पीते ,भावना में जा रहे बह
थोड़ा लालच ,थोड़ी नीयत ,और कुछ भावुक हृदय हम ,
बात सबकी मानते ना तोड़ सकते दिल किसीका
डाइबिटीज भी हो गयी है ,और ब्लडप्रेशर बढ़ा है ,
कई बिमारी ग्रसित है ,मिल रहा है फल  इसीका

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
रहो बच कर कोरोना से

दिनबदिन हो रहा  मुश्किल,कोरोना का खेल प्रियतम
रहो बच कर कोरोना से ,कष्ट कुछ दिन झेल  प्रियतम

पूर्णिमा के चाँद जैसा ,तुम्हारा आनन चमकता
और उस पर ,अधर सुन्दर से मधुर अमृत टपकता
गुलाबी ,अनमोल है ये ,रतन  चेहरे पर तुम्हारे
इन्हे ढक लो 'मास्क 'से तुम ,कोई ना नीयत बिगाड़े
नाक छिद्रों में सुहाने ,नित्य डालो तेल प्रियतम
दिनबदिन हो रहा मुश्किल ,कोरोना का खेल प्रियतम

हाथ ये कोमल कमल से ,हाथ कोई ना लगाये
इन्हे धो,रखना छिपाए ,कोई इनको छू न पाये
सभी से कुछ दूरियां तुम ,हमेशा रखना बनाकर
इसलिए बाहर न निकलो ,रखो तुम खुद को छुपाकर
भले ही बंधन तुम्हे ये ,लगे कुछ दिन जेल प्रियतम
दिनबदिन हो रहा मुश्किल ,कोरोना का खेल प्रियतम

टोकता रहता तुम्हे मैं ,मुझे लगता बहुत डर  है
तुम भी उन्नीस ,वो भी उन्नीस ,भटकने वाली उमर है
इसलिए 'वेक्सीन 'लगवा ,बनाकर हथियार इनको
कोप से इस महामारी के बचा रखना स्वयं को
कोरोना से ना कभी भी ,हो तुम्हारा मेल प्रियतम
दिनबदिन हो रहा मुश्किल ,कोरोना का खेल प्रियतम

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'