Friday, November 11, 2011

एक कबूतर ---

एक कबूतर ---
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एक कबूतर आता जाता
मेरा फ्लेट सातवीं मंजिल पर बिल्डिंग की,
फिर भी ऊपर उड़ कर आता,ना इतराता
वही सादगी और भोलापन
मटकाता रहता है गरदन
अपनी वही गुटरगूं  करना
सहम सहम धीरे से चलना
कभी कभी जब होता प्यासा,
रखे गेलरी में पानी से भरे पात्र में,
चोंच डूबा,कुछ घूंटे भर कर प्यास बुझाता
एक कबूतर आता जाता
एक दिन उसके साथ आई थी एक कबूतरी
सुन्दर सी मासूम ,जरा सी भूरी भूरी
उसकी नयी प्रेमिका थी वो,
ढूंढ रहे थे वो तन्हाई
बैठ गेलरी के कोने में चोंच लड़ाई
इधर उधर ताका और झाँका,
प्यार जताया एक दूजे से
और प्रणय क्रीडा में थे वो लीन हो गए
फिर दोनों ने पंख फैलाये,फुर्र हो गए
देखा कुछ दिन बाद साथ में कबूतरी के,
चोंचे भर भर तिनके लाता
शायद निज परिवार बसाने,नीड़ बनाता
एक कबूतर आता जाता

मादा मोहन बाहेती'घोटू'

सोने की चेन और चैन का सोना

सोने की चेन और चैन  का सोना
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बहुत शिकायत मुझसे तुमको,कि मै बड़ी देर सोता हूँ
होश नहीं रहता सपनो में,मै इतना गाफिल होता हूँ
चिंतामुक्त आदमी होता,नींद उसे आती आती है गहरी
इसीलिए मै सो जाता हूँ,भले रात हो या दोपहरी
सोना नींद चैन कि केवल,किस्मत वालों के नसीब में
तुम भी सोती नीद प्रेम से,भर खर्राटे बीच बीच में
नींद बड़ी गहरी आती है,जब कोई मेहनत कर थकता
पैसे वाला परेशान है,करवट लेता सिर्फ बदलता
सोना तो सचमुच सोना है,सबके मन को प्रिय लगता है
पर जिसके घर ज्यादा सोना,रातों रात सदा जगता है
त्रेता युग में कुम्भकरण जो रावण का भाई होता था
रामायण ये बतलाती है,वो छह छह महीने   सोता था
वो राक्षस था मगर देव भी,चार चार महीने सोते है
रहते प्रेमी दुखी इन दिनों,शादी ब्याह नहीं होते है
राक्षस,मानव,देव सभी को,होती है आदत सोने की
मुझे चैन   से सोने दो, ला दूंगा चेन तुम्हे सोने की
मुझे जगाती ही रहती हो,जब मै सपनो में खोता हूँ
नहीं शिकायत करना अब तुम,कि मै बहुत देर सोता हूँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'