Saturday, September 7, 2013

प्यार कुछ ऐसा दिखाया आपने

 प्यार कुछ ऐसा दिखाया आपने

प्यार कुछ ऐसा दिखाया आपने
जगाया भी,और सुलाया ,आपने
           देख कर हुस्नो अदा हम मर मिटे
            प्यार तुम्हारा मिला,फिर जी उठे
मारा  भी और फिर जिलाया आपने
प्यार कुछ एसा दिखाया  आपने
             इस तरह बांधा हमें आगोश में
             रह नहीं पाये हम अपने होंश में
लबों से अमृत पिलाया आपने
प्यार कुछ एसा दिखाया आपने
            दिल की महफ़िल,सूनी थी,वीरान थी
             आप आये,आयी उसमे  जान थी
रंग कुछ  एसा जमाया आपने
प्यार कुछ एसा दिखाया आपने
              बावरे हम हो गए ,अब क्या कहे
               नाचते ही इशारों पर हम रहे
जादू  कुछ एसा चलाया आपने
प्यार कुछ एसा दिखाया  आपने

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

जीवन लता

          जीवन  लता

लताएँ और बेलें
नहीं बढ़ती है अकेले
जब थोड़ी पनपती है
कुछ आगे बढ़ती है
उन्हें आगे बढ़ने को
और ऊपर चढ़ने को
होती है जरूरत ,किसी सहारे की
जिससे लिपट कर के ,वो आगे बढ़ जाए
जीवन की लताओं को
आगे बढाने को
ऊंचा उठाने को
सुख दुःख बाटने को
जीवन काटने को
होती है जरूरत ,किसी प्यारे की,
जिसके संग खुशी खुशी ,ये जीवन कट जाए

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मूंछें -साजन की

                मूंछें -साजन की

मर्दाने चेहरे पर  लगती तो है प्यारी

साजन ,मुझको नहीं सुहाती मूंछ तुम्हारी

        जब होता है मिलन,शूल से मुझे चुभोती

         सच तो ये है ,मुझको बड़ी गुदगुदी होती

लब मिलने के पहले रहती खडी अगाडी

साजन ,मुझको नहीं सुहाती मूंछ तुम्हारी

           बाल तुम्हारी मूंछों के कुछ लम्बे ,तीखे

           कभी नाक में घुस जाते  तो आती छींके

होती दूर ,प्यार करने की इच्छा सारी

साजन मुझको नहीं सुहाती मूंछ तुम्हारी

               दाढ़ी तो है ठीक ,मगर मूंछें जालिम है
              
                चुभती तो दाढ़ी भी है पर  थोड़ी कम है
दाढ़ी कभी कभी चुभती तो लगती प्यारी
साजन मुझको नहीं सुहाती  मूछ  तुम्हारी

मदन मोहन बाहेती;घोटू'          

प्यार और जिन्दगी

     प्यार और जिन्दगी

नज़र जब तुमसे मिली
प्यार की कलियाँ खिली
मन मचलने  लग गया
हुआ था कुछ  कुछ नया
प्यार में   यूं  गम  हुए
बावरे हम तुम  हुए
       प्रीत के थे बीज बोये
        तुम भी खोये,हम भी खोये
रात कुछ ऐसी कटी
सुहानी पर अटपटी
ख्वाब में तुम आई ना
नींद हमको  आई ना
और तुमसे क्या कहें
बदलते करवट रहे
           मिलन के सपने संजोये
            जगे हम, तुम भी न सोये
ये हमारी जिन्दगी
थोडा गम,थोड़ी खुशी
आई कितनी दिक्कतें
रहे चलते,ना थके
बस यूं ही बढ़ते रहे
गमो से  लड़ते  रहे
           आस की माला  पिरोये
           हम हँसे भी और रोये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'