Saturday, January 18, 2014

माया उस परमेश्वर की

      माया उस परमेश्वर की

आसमान में बिजली कड़की,घर की बिजली चली गयी,
और जब बादल लगे गरजने ,घर का टी वी मौन हुआ
थोड़ी सी प्रगती क्या करली ,हम खुद पर इतराते है ,
पर 'वो'सारा कर्ता  धर्ता ,हम सब मानव गौण हुए
इतना विस्तृत है उसका घर ,पाना पार बड़ा मुश्किल,
एक हाथ में मरुस्थल है,एक हाथ में हरियाली
कहीं पहाड़ है ऊंचे ऊंचे ,कहीं समुन्दर लहराते ,
कहीं प्रखर रवि,कहीं निशा है,कहीं उषा की है लाली
उसके एक इशारे पर ही,पवन हिलोरे मार रही,
वृक्षों के पत्ते लहराते,खिल कर पुष्प महकते है
वो ही भरता है गेंहू की बाली में अन्न के दाने ,
आसमान में विचरण करते ,पंछी सभी चहकते है
नीर बरसता है बादल से ,भरे सरोवर लहराते,
नदियांये कल कल बहती है,लहरें उठे समंदर की
जन्म ,मरण,दिन रात सभी कुछ ,चले इशारों पर उसके,
आओ उसका नमन करें हम,ये माया उस ईश्वर  की

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बेटा बेटी सदा बराबर

         बेटा  बेटी  सदा बराबर

नर नारायण कहलाते है ,नारी देवी स्वरूपा है,
दोनों ही पूजे जाते है ,दोनों ही परमेश्वर है
उदधि कहाता है रत्नाकर,तो है धरा रत्न गर्भा,
दोनों में ही रत्न भरे है ,दोनों गुण के सागर है
बेटा होता ,खुशी मनाते,उसको पुत्र रत्न कहते,
बेटी होती,दुःख करते हो,दोनों में क्यों अंतर है?
बेटा बेटी सदा  बराबर ,दोनों ही आवश्यक है ,
दोनों से ही जगती चलती ,यह तो सत्य उजागर है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'