Monday, May 25, 2020

जिंदगी -दो नजरिये

नजरिया -सुबह का

तीन कोने,एक बचपन,जवानी और बुढ़ापा,
तिकोनी है ,समोसे सी  ,ये हमारी  जिंदगी
चटपटा आलू मसाला ,भरा अंदर ,है गरम ,
अगर ताज़ी ,स्वाद लगती ,बड़ी प्यारी जिंदगी
संगिनी मिल जाय यदि जो,गरम मीठी जलेबी ,
टेढ़ी मेढ़ी पर रसीली ,हो करारी  जिंदगी
स्वर्ग काआनंद सारा,तो समझ लो मिल गया,
चैन से  कट जाती है ,मेरी तुम्हारी जिंदगी
२  
 नज़रिया -शाम का

जवानी में दिल हमारा ,कुल्फी जैसा हार्ड था ,
बुढ़ापे में हो गया वो ,सोफ्टी सा सॉफ्ट है
थे गरम मिजाज काफी ,उसूलों के सख्त थे ,
पर लचीला नजरिया अब कर लिया एडोप्ट है
हमेशा अपनी न हाँको ,दूसरों की भी सुनो ,
वक़्त के संग बदलना ही जिंदगी का आर्ट है
कल के घोटू,अब के घोटू में फरक ये आगया ,
पहले लल्लू गाँव का लगता था ,अब स्मार्ट है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
पत्तल उठाते रह गये

सपन मन में मिलन के सब  कुलबुलाते रह गये
साथ आनेवाले थे वो ,आते आते  रह गये
हमारी मख्खन डली को ,एक कौवा ले गया ,
और हम अफ़सोस में ,दिल को जलाते रह गये
 कोई मंदिर में घुसा ,परशाद  सारा ले गया ,
और हम भक्ति भरे  ,घंटी बजाते रह गये
पेंच डाला कोई ने और हमारी काटी पतंग ,
बचाने को मांजा हम ,गिररी घुमाते रह गये
हमने रखवाली करी थी फसल की जी जान से
काट ली कोई ने ,हम भूसा उठाते  रह गये
मेहमां बन,लोग आये ,जीम कर सब,घर गये,
और भूखे पेट हम  ,पत्तल उठाते रह गये  

घोटू 
ऑरेंज कॉउंटी -समाचार

गर्मी के दिन सुहाने , नहीं सकेंगे भूल
रहता जब लबालब ,अपना स्वीमिंगपूल
अपना स्वीमिंग पूल ,लगाते थे हम गोते
दिन भर रहते चुस्त, वजन में भी कम होते
कोरोना डर 'घोटू'  घुस कर रहते घर में
बस अब तैरा करते ,सपनो के सागर  में

घोटू