Sunday, October 8, 2023

जमाना बदल गया है

मेरा देश कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था ,
पर देखो परिस्थितियों कितनी बदल गई है आज सोना आसमान को छू रहा है , और 
आसमान में चिड़िया नजर आती नहीं है

मेरे देश की धरती जो कभी सोना थी  
उगलती 
आज उन खेतों में पराली है जलती

कभी हरियाली से भरे हुए जंगल हुआ करते थे ,
आज जाने कहां खो गए हैं 
जिधर देखो उधर कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं 

कभी मेरे देश में बहती थी दूध दही की नदियां खूब 
और आजकल प्लास्टिक की पैकिंग में मिल रहा है दूध 

पश्चिम की हवाओं ने पूरब की लाली को ऐसा बुझाया है
कि मेरी देश की संस्कृति और संस्कारों को मिटाया है
अब जन्म दिवस की तिथि ऐसे मनाई जाती है 
दीप जलाये नहीं जाते,
 मोमबत्ती बुझाई जाती है 

पहले जहां पग पग रोटी पग पग नीर
हुआ करता था 
अब नीर प्लास्टिक की बोतल में दिख रहा है ,
और हर तरफ ढाबे खुल गए हैं जहां रोटी और खाना बिक रहा है 

पुराने ऋषि मुनियों के गुरुकुल 
हो गए हैं गुल 
और जगह-जगह कोचिंग क्लासेस गई है खुल 

अतिथि देवो भव की परंपरा अब सिर्फ पांच सितारा होटल में पाई जाती है 
अब खुशी के मौका पर गुड़ और पताशे नहीं बंटते ,केक खाई जाती है 

शादी के पहले साथ रहने का चलन चल गया है 
पता नहीं हम बदले हैं या जमाना बदल गया है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

राधा तू बड़भागिनी, कौन तपस्या कीन

तीन लोक तारण तरण

है तेरे आधीन 


राधे राधे तेरे नाम ने, सबके कारज साधे

बोलो राधे राधे राधे ,बोलो राधे राधे राधे 


राधे तू बरसाने वाली

सब पर सुख सरसाने वाली 

तेरी सूरत प्यारी प्यारी 

कान्हा के मन भाने वाली 

अपनी प्यारी युगलछवि के

तू दर्शन करवा दे 

बोलो राधे राधे राधे ,बोलो राधे राधे राधे


मेरे प्यारे कृष्ण मुरारी 

मेरे गोवर्धन गिरधारी 

ऐसी प्रीत लगाई तुझ पर

वो तो जाएं वारी वारी

मुग्ध हो गए,तेरे रूप ने

रक्खा उनका बांधे 

बोलो राधे राधे राधे बोलो राधे राधे राधे 


कान्हा बंसी मधुर बजाते 

कान्हा तुझ पर प्यार लुटाते 

जमुना तट पर, बंसी वट पर 

तुझ संग रास रचाते

एक झलक उस महारास की

 हमको भी दिखला दे 

बोलो राधे राधे राधे ,बोलो राधे राधे राधे


 कान्हा ऐसे भये दीवाने 

प्रीत तेरे संग जोड़ी 

राधे कृष्णा , राधे कृष्णा

अमर हो गई जोड़ी 

हम भक्तों पर भी थोड़ी सी

किरपा तू बरसा दे 

बोलो राधे राधे राधे

बोलो राधे राधे राधे


मदन मोहन बाहेती घोटू