जीवन दर्शन -बुढ़ापे का
जब जब नयी पीढ़ी
चढ़े सफलता की सीढ़ी
आओ हम उन्हें प्रोत्साहन दें
पीढ़ियों का अंतर
तो बना ही रहेगा उमर भर
उस पर ना ध्यान दें
वो अपने ढंग से
जिंदगी जीना चाहतें है,
कोई हर्ज नहीं
क्या बच्चों की खुशियों में
सहयोग देना
बुजुर्गों का फर्ज नहीं
ये सच है की उनके रस्ते,
और उनकी सोच
तुम्हारी सोच से है भिन्न
क्यों लादते हो अपने विचार उन पर,
और न मानने पर,
क्यों होते हो खिन्न
हर परिंदा,उड़ना सीखने पर,
अपने हिसाब से उड़ता है
और इसे अपनी उपेक्षा समझ
तुम्हारा मन क्यों कुढ़ता है?
किसी से अपेक्षा मत रखो ,
वर्ना अपेक्षा पूरी न होने पर ,
दिल टूट जाता है
तुम्हारी अच्छी सलाहों को,
अपने काम में दखल समझ ,
अपना रूठ जाता है
तुम अपने ढंग से जियो,
और उन्हें जीने दो,
उनके ढंग से
तनाव छोड़ ,अपनी बाकी जिंदगी का,
भरपूर मजा लो,
ख़ुशी और उमंग से
Er मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
जब जब नयी पीढ़ी
चढ़े सफलता की सीढ़ी
आओ हम उन्हें प्रोत्साहन दें
पीढ़ियों का अंतर
तो बना ही रहेगा उमर भर
उस पर ना ध्यान दें
वो अपने ढंग से
जिंदगी जीना चाहतें है,
कोई हर्ज नहीं
क्या बच्चों की खुशियों में
सहयोग देना
बुजुर्गों का फर्ज नहीं
ये सच है की उनके रस्ते,
और उनकी सोच
तुम्हारी सोच से है भिन्न
क्यों लादते हो अपने विचार उन पर,
और न मानने पर,
क्यों होते हो खिन्न
हर परिंदा,उड़ना सीखने पर,
अपने हिसाब से उड़ता है
और इसे अपनी उपेक्षा समझ
तुम्हारा मन क्यों कुढ़ता है?
किसी से अपेक्षा मत रखो ,
वर्ना अपेक्षा पूरी न होने पर ,
दिल टूट जाता है
तुम्हारी अच्छी सलाहों को,
अपने काम में दखल समझ ,
अपना रूठ जाता है
तुम अपने ढंग से जियो,
और उन्हें जीने दो,
उनके ढंग से
तनाव छोड़ ,अपनी बाकी जिंदगी का,
भरपूर मजा लो,
ख़ुशी और उमंग से
Er मदन मोहन बाहेती 'घोटू'