अंदर बाहर
जो बाहर से कुछ दिखते है,
अंदर कुछ और हो सकते है
नहीं जरूरी वैसे ही हों,
जैसे बाहर से लगते है
बाहर है तरबूज हरा पर ,
लाल लाल होता है अंदर
होता श्वेत सेव फल अंदर,
लेकिन लाल लाल है बाहर
बाहर कुछ है,अंदर कुछ है ,
खरबूजा भी कुछ ऐसा है
लेकिन पीला पका आम फल ,
बाहर भीतर एक जैसा है
कच्चे फल कुछ और दिखते है ,
बदला करते जब पकते है
जो बाहर से कुछ दिखते है,
अंदर कुछ और हो सकते है
केला हो या लीची हो पर ,
सबकी ऐसी ही हालत है
वैसे ही कुछ इंसानों की,
कुछ है सूरत,कुछ सीरत है
कोई में रस होता है तो ,
कोई में गूदा है होता
कोई में गुठली होती है,
सब कुछ जुदा जुदा है होता
पोले ढोल हुआ करते जो ,
वो थोड़े ज्यादा बजते है
जो बाहर से कुछ दिखते है,
अंदर कुछ और हो सकते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जो बाहर से कुछ दिखते है,
अंदर कुछ और हो सकते है
नहीं जरूरी वैसे ही हों,
जैसे बाहर से लगते है
बाहर है तरबूज हरा पर ,
लाल लाल होता है अंदर
होता श्वेत सेव फल अंदर,
लेकिन लाल लाल है बाहर
बाहर कुछ है,अंदर कुछ है ,
खरबूजा भी कुछ ऐसा है
लेकिन पीला पका आम फल ,
बाहर भीतर एक जैसा है
कच्चे फल कुछ और दिखते है ,
बदला करते जब पकते है
जो बाहर से कुछ दिखते है,
अंदर कुछ और हो सकते है
केला हो या लीची हो पर ,
सबकी ऐसी ही हालत है
वैसे ही कुछ इंसानों की,
कुछ है सूरत,कुछ सीरत है
कोई में रस होता है तो ,
कोई में गूदा है होता
कोई में गुठली होती है,
सब कुछ जुदा जुदा है होता
पोले ढोल हुआ करते जो ,
वो थोड़े ज्यादा बजते है
जो बाहर से कुछ दिखते है,
अंदर कुछ और हो सकते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'