Saturday, August 30, 2014

            अंदर बाहर

जो बाहर से कुछ दिखते है,
                अंदर कुछ और हो सकते है
नहीं जरूरी वैसे ही हों,
                 जैसे   बाहर  से  लगते  है
बाहर है तरबूज हरा पर ,
                   लाल लाल होता है अंदर
होता श्वेत सेव फल अंदर,
                   लेकिन लाल लाल है बाहर
बाहर कुछ है,अंदर कुछ है ,
                    खरबूजा भी कुछ ऐसा है
लेकिन पीला पका आम फल ,
                     बाहर भीतर एक जैसा है
कच्चे फल कुछ और दिखते है ,
                    बदला करते जब पकते है
जो बाहर से कुछ दिखते है,
                    अंदर कुछ और हो सकते है
केला हो या लीची हो पर ,
                       सबकी ऐसी ही हालत है
वैसे ही कुछ इंसानों की,
                       कुछ है सूरत,कुछ सीरत है
कोई  में  रस होता है तो ,
                          कोई  में  गूदा  है  होता 
कोई में गुठली होती है,
                        सब कुछ जुदा जुदा है होता
   पोले ढोल हुआ करते जो ,
                        वो थोड़े  ज्यादा  बजते है
जो बाहर से कुछ दिखते है,
                       अंदर कुछ और हो सकते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  
                    आंसू

आंसू सच्चे मित्र और हमदर्द दोस्त है ,
           जब भी होता दर्द ,आँख में आ जाते है
देकर चुम्बन गालों को पुचकारा करते ,
            धीरे धीरे बह  गालों  को  सहलाते   है
जब खुशियों के पल आते मन विव्हल होता ,
 तो ये आँखों से मोती बन, बिखरा करते ,
औरजब दुख के बादल छाते,घुमड़ाते है ,
          नयन नीर बन,तब ये बरस बरस जाते है
जब पसीजता है अंतरतर सुख या दुःख से,
तो यह निर्मल जल नयनों से टपका करता ,
और इनकी बूंदों में इतनी ऊष्मा होती ,
            पत्थर से पत्थर दिल को भी पिघलाते है
अधिक परिश्रम करने पर या अति ग्रीष्म में,
तन के  रोम  रोम से  स्वेद  बहा  करता  है ,
किन्तु भाव जो मन को पिघलाया करते है ,
             आँखों के रस्ते आंसू  बन कर   के आते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'        
          यक्ष प्रश्न

हे भगवान !मुझे ये बतला दे कि ,
मर्दों के साथ ही ,क्यों होता ये अन्याय है
बैल हमेशा हल जोतता रहता है,
और माँ कह कर पूजी जाती गाय  है
विवाह उत्सव में,सजी धजी घोड़ी पर,
दूल्हे राजा को बिठाया जाता है
और बेचारे घोड़े से  हमेशा ही ,
तांगे  या इक्के को खिंचवाया जाता है
मुर्गी अंडा देती है ,इसलिए ,
उसकी होती अच्छी देखभाल है
और बेचारा मुर्गा ही क्यों ,
हमेशा होता हलाल है
भैस दूध देती है तो उसे,
खिलाया पिलाया जाता है
और भेसे से ,भैंसागाडी को,
हमेशा खिंचवाया जाता है
मर्द ,दिन भर काम में पिसता रहता ,
करता कमाई है
और घर पर चैन से ऐश करती ,
उसकी लुगाई है
और जब सब मादाओं को ,
आदमी बहुत करता है प्यार
तो क्यों फिर बेटियां ,
जन्म लेने के पहले ही ,
कोख में दी जाती है मार ? 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'