Sunday, December 22, 2013

बाल

                बाल

हम जिनकी इज्जत करते है,माथे पर जिन्हे चढ़ाये है
पलकों के द्वार बिठाया है  ,जो रोम रोम में छायें है
पलटे साँसों के साये में ,चिपके रहते है गालों पर
सब नर नारी की शोभा जो ,है नाज़ हमें उन बालों पर
ये भले सुनहरी या काले,भूरे  घुंघराले होते है
रेशम से हों या बदली से ,पर सब मतवाले होते है
जब जुड़ा बन कर संवर गए ,तो गोरा आनन चमक उठा
जब बिखर गए तो बदली में ,जैसे चन्दा हो दमक उठा
जब बाल गुंथे चोंटी बनकर ,नागिन से आकर लटक गए 
बाला के बाल जाल में है ,कितने ही लोचन भटक गए
इन बालों की जंजीरों ने ,बाँधा कितने दिलवालों को
कितने शीरी फरहाद बने है बढ़ा बढ़ा कर बालों को
कितने ही दुःख की एक दवा ,होता है जुल्फों का साया
बालों में सिंदूरी रेखा, सॊभाग्य चिन्ह यह कहलाया
नारी में और पुरुष में भी,यह अंतर एक निराला है
है बाल विहीन गालवाली नारी,नर दाढ़ी वाला है
नारी बालों को बढ़ा रही,नर है बालों को कटा रहा
सर के ,गालों के झंझट को,कैंची ,रेज़र से हटा रहा
जिनके होते है बढे बाल ,वो बड़े मेहनती होते है
जिनके होते है झड़े बाल ,वो अक्सर रहते रोते है
है उड़े बाल तो अच्छा है ,खल्वाट क्वचित निर्धन होते
है बड़े बाल तो अच्छा है,सुन्दर सुन्दर फेशन होते
सर्दी की ऋतू में बड़े बाल ,मफलर का काम दिया करते
तकिया यदि  ना भी हो तो ,सोने में आराम दिया करते 
थोड़े से बाल बिखेरो तुम तो फिलासफर कहलाओगे
ठाड़े से बाल संवारो तो ,फ़िल्मी हीरो  बन जाओगे
थोड़े हो छोटे बाल अगर ,तो खुला  हुआ सर चमकेगा
चंदिया के बालों का उड़ना,तुमको अच्छी इज्जत देगा
बढ़ती ज्यों उमर ,बाल का भी ,त्यों त्यों होता उजला रंग है
कोई की उमर जानने का ,ये कितना अच्छा सा ढंग है
कुछ बातें घने राज वाली ,भी है ये खोल दिया करते
बिखरें हो सुबह,रात का सब,अफसाना बोल दिया करते
देरी से घर आने वाले ,पति के कपड़ों पर पड़े बाल
बतला देते है पत्नी को ,उसकी सांझों का हालचाल
इतिहास साक्षी है इसका ,बालों ने क्या क्या कर डाला
बिखरे जब बाल केकैयी के ,वनवास राम को दे डाला
बीज महाभारत का भी  इन बालों ने ही बोया था
दुशासन के खूं से द्रोपदी ने निज बालों को धोया था
गंगा ने भी आ शंकरजी के बालों में था वास किया
जब बिखर गए चाणक्य बाल ,तो नंदवंश का नाश किया
सेमसन की सारी ताकत थी,उसके बालों में छुपी हुई
हजरत के बाल आजतक भी,पूजे जाते है कहीं कहीं
 सन्यासी होता घुटा मुटा ,ऋषियो के बाल बढे रहते
बीटल के बाल लटकते है ,तो हिप्पी के बिखरे रहते
क्या एक बाल से होता है ,पर इनमे बड़ा संगठन है
ताकत का अरे एकता की ,कितना अच्छा उदाहरण है
 बालों का पर्दा आँखों पर ,ये पहरेदार आँख के है
जो सच्चे मित्र हुआ करते ,कहलाते बाल  नाक के है
नाई और ब्लेड उस्तरे वाले,बालों के बल  पलते  है
बालों से ही विग बनता है ,बालों से कपडे बनते है
सुनते है कुछ लोग बाल की खाल निकाला करते है
कुछ लोग बाल के पिंजरे में ,जूँवो को पाला  करते है
उड़ गए बाल मंहगाई में ,गंजे अच्छे अच्छे  होते
हम बाल बाल ही बचे नहीं तो कई बाल बच्चे होते
बालों में नाइट्रोजन है ,खेती की उपज बढ़ाने  को
ये कितना अच्छा साधन है,फॉरेन एक्सचेंज लाने को
है कितनी मांग विदेशों में,भारत के काले बालों की
हम यदि चाहें तो कर सकते ,आमदनी कई हज़ारों की
तो एक्सपोर्ट को क्यों न बाल का प्रोडक्शन चालू कर दें
अधिक बाल  उपजाओ वाला ,आंदोलन चालू कर दें

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

धरम की बात

           धरम की बात 
(एक नास्तिक प्रोफ़ेसर को उसकी
आस्तिक पत्नी का धर्मोपदेश)

सुनो श्रीमान जी ,       बात है ये ज्ञान की
भले करम कीजिये  ,  दान धरम कीजिये      

दान बड़ी चीज है ,       मुक्ति  का ये बीज है
लिखा है पुराण में ,      कलयुगी  जहान  में
मोक्ष प्राप्ति वास्ते ,      दान     धरम  रास्ते 
और एक आप हो ,       जो दान के खिलाफ हो
दान करूं  ,टोकते          मेरी राह रोकते
प्रोफ़ेसर साहब ओ !       तुम बड़े खराब हो
कुछ तो शरम कीजिये    दान धरम कीजिये

कितने हो कंजूस तुम      बड़े मक्खीचूस तुम
मोटी सी पगार है             बेंक में हज़ार   है
खर्च करते डरते पर           दान से मुकरते पर
मेरी कुछ न मानते           अपनी ही हो तानते
सूना सूना घर पड़ा             अखरता है मुझे बड़ा
हम अकेले जीव दो             रह सकेंगे अब न यों
मुझपे  रहम कीजिये        दान धरम  कीजिये

अब तलाक बहुत सहा        कितनी बार है कहा
गंगा स्नान कीजिये           पुण्य दान   कीजिये
विश्वनाथ ही चलें                साथ साथ ही चलें
तुमने पर मना किया          बहाना  बना दिया 
मीटिंग में जाना है              लेक्चर  बनाना है
मीटिंग और लेक्चर            बीत जायेगी  उमर
इनको तो कम कीजिये        दान धरम  कीजिये

मेरी बात मानिये                खरी खरी जानिये
पैसा कुछ न जाएगा            चोखा रंग आयेगा
एक बात है पिया                 जांचते हो कापियां
करते लड़के फ़ैल हो             जैसे कोई खेल हो
तो एक काम कीजिये            मार्क्स  दान दीजिये
एक भी न काटिये                 खुल्ले हाथ बांटिये
परीक्षा में गर नहीं                  तो सेशनल में ही सही
फ़ैल ख़तम कीजिये               दान   धरम  कीजिये

आरजू हुजूर से              छात्र आते दूर से
उनको पास कीजिये        मत निराश कीजिये
दिल किसी का ना दुखे        ये ही बड़ा धर्म है
सबकी दुआ लीजिये         छह के साठ  कीजिये   
अब के लूंगी देख भी          किया जो फ़ैल एक भी
ये बात है खरी डीयर          मै जाउंगी  चली पीहर
दिल को नरम  कीजिए       दान धरम   कीजिये

आम आदमी -ख़ास आदमी

      आम आदमी -ख़ास आदमी

इस बार ,देश की राजनीति में ,
एक क्रांतिकारी इत्तेफाक  हो गया
एक आम आदमी ,अचानक ख़ास हो गया
उसकी सादगी और इरादों ने ,
त्रस्त और दुखी जनता  के मन में आस जगा दी
कि चुनाव में,ख़ास आदमी को ,जनता ने धूल चटा दी
पर बदकिस्मती से ,वो इतना भी ख़ास न हुआ ,
कि अपने खुद के बूते,सत्ता की कुर्सी पर चढ़े
तो वो ख़ास आदमी,जो थोड़े ही ख़ास रह गए थे ,
उसकी तरफ सहयोग देने को बढे
यही सोच कर कि आम आदमी अनुभवहीन है,
वादे पूरे  नहीं कर पायेगा
और शीध्र ही 'एक्सपोज 'हो जाएगा
आम आदमी इनके इरादों को अच्छी तरह समझता था
इसलिये फूंक फूंक कर कदम रखता था
वो अच्छी तरह जानता था ये बात
इनका कोई भरोसा नहीं,कब खींच ले हाथ
पर इस चक्कर में ,अच्छा खासा बवाल होगया
अब क्या होगा ,सब के मन में ये सवाल हो गया
लोग कहने लगे ,आम आदमी ये क्या कर रहा है
जिम्मेदारी से डर रहा है  ,वादों से मुकर रहा है
आम आदमी को राजनीति करना नहीं आता है
इसलिए सत्ता में आने से घबराता है
पर एक दिन ,जनता की राय लेकर ,
आम आदमी बैठ गया कुर्सी पर
और वो जैसे अपना घर चलाता था ,
उसी किफायत और अनुशासन से ,
सरकार चलाने लगा   
उसका ये तरीका ,लोगों को पसंद आने लगा
और उसकी सरकार जब ठीक से चलने लगी
पुराने ख़ास लोगों को ये बात खलने लगी
सोचा कि लोगों को अगर,
 सुशासन की आदत पड़ जायेगी
तो हमारी तो लुटिया ही डूब जायेगी
और एक दिन बौखला कर ख़ास आदमियों ने ,
सरकार से अपना सहयोग हटा लिया
और आम आदमी को सत्ता से गिरा दिया
और इससे जनता के आगे ,
ख़ास आदमियों की पोल खुल गयी
और अगले आम  चुनाव में ,सरकार ही बदल गयी

मदन मोहन बाहेती  'घोटू'