Monday, May 11, 2015

वो कौन है ?

          वो कौन है ?

वो जब आती ,नहीं रूकती ,
              सभी को जाना पड़ता है
ये है दस्तूर कुदरत का ,
              निभाना सबको पड़ता है
ये दो बहने गजब की है,
              अजब इनका फ़साना है
एक इक बार जीवन में ,
              दूजी आये रोजाना है
एक आती ,संग ले जाती,
            सभी को गमजदा करती
एक आ चैन देती है,
             तबियत खुशनुमा करती
एक से लोग डरते है ,
              वो ना आये तो अच्छा है
एक आ देती राहत है ,
              वो आये सबकी इच्छा है
एक चुपके से  आती है,
              किसी को ना नज़र आये
एक को चाहते सब है,
               मगर ना देखना चाहे
एक आती,मिले मुक्ति,
               ये उसका लक्ष्य  होता है
एक के वास्ते घर में,
               अलग एक कक्ष  होता है
जो आती एक बार ही है ,
              इस जीवन में,वो है मृत्यूं
जो आती रोज ,वो क्या है,
              समझता मै ,समझता तू

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

हसरत और हक़ीक़त

       हसरत और हक़ीक़त

चाहता था कि बन जाऊं ,खिलाड़ी एक मै  बेहतर
बनू या फिर कोई एक्टर ,कला के दिखलाऊं जौहर
या फिर बन जाऊं मैं नेता,मुझे था बोलना  आता
या बिजनेसमेन बन जाऊं ,कमा जो ढेर सा लाता
मगर किस्मत के चक्कर में ,नहीं कुछ ऐसा बन पाया
हुई शादी,  मिली बीबी  ,रह  गया बन  के   चौपाया
बना ऐसा खिलाड़ी हूँ,  खेलता हाथों किस्मत के
रोज बनता हूँ मै एक्टर , दिखाता रंग नाटक के
बीबी ,बच्चों को,नेता बन ,रोज देता हूँ मैं भाषण
जल्द अच्छे दिन आएंगे ,दिया करता हूँ आश्वासन
 गृहस्थी जो चलाना है  , कमाना  भी जरूरी  है
बन गया हूँ मैं बिजनेस मेन ,हुई सब इच्छा पूरी है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

पिताजी की डाट

         पिताजी की डाट

हमें है याद बचपन में ,पिता का खौफ खाते थे
कोई हो काम करवाना  तो अम्मा को पटाते थे
बहुत डरते थे और एकदिन गजब की डाट खाई थी
वजह  तो याद ना लेकिन,हुई अच्छी ठुकाई थी
मगर वो डाट ,बन कर सीख ,हमें है टोकती रहती
गलत कुछ भी करे हम तो ,वो हमको रोकती रहती
प्यार से दे नसीहत अम्मा ,भी वो बात कहती थी
मगर झट भूल जाते थे , नहीं कुछ  याद रहती  थी
 पिता ने डाट कर के  ,पढ़ाया कुछ पाठ   ऐसा  है
असर जिसका इस जीवन में ,अभी तक है ,हमेशा है
भले ही बात तीखी हो , सदा पर याद है  आती
बिना कड़वी दवा खाए ,बिमारी है नहीं जाती

मदन मोहन बाहेती'घोटू'