प्रणय निवेदन
मुझमे ना है लाग लगावट ,न ही बनावट ,लीपापोती ,
मुझको अपने मूल रूप में ,क्या स्वीकार करोगे प्रियतम
मै भोलीभाली सी निश्छल ,मुझे न आती दुनियादारी ,
सच्चे मन से और लगन से ,दासी बन कर रहूँ तुम्हारी
मै जैसी हूँ,बस वैसी ही ,हो जाऊं तुम पर न्योछावर ,
पर तुम भी क्या सच्चे दिल से ,मुझसे प्यार करोगे प्रियतम
मुझको अपने मूल रूप में ,क्या स्वीकार करोगे प्रियतम
तुम कान्हा हो ,रास रचैया ,मै सीधी सादी सी राधा
कहीं अचानक छोड़ न जाना ,प्यार हमारा रहे न आधा
मै गोकुल में ,अश्रु बहाती रहूँ,द्वारिकाधीश बने तुम ,
आठ आठ पटरानी के संग,जा अभिसार करोगे प्रियतम
मुझको अपने मूल रूप में ,क्या स्वीकार करोगे प्रियतम
तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो ,ऊंचा नाम,राम तुम्हारा
सीता वन वन ,भटकी संग संग ,तुमने घर से उसे निकाला
क्या उस पर विश्वास नहीं था ,या था प्यार तुम्हारा झूंटा ,
अगर अहिल्या बनी शिला मै ,क्या उद्धार करोगे प्रियतम
मुझको अपने मूल रूप में ,क्या स्वीकार करोगे प्रियतम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मुझमे ना है लाग लगावट ,न ही बनावट ,लीपापोती ,
मुझको अपने मूल रूप में ,क्या स्वीकार करोगे प्रियतम
मै भोलीभाली सी निश्छल ,मुझे न आती दुनियादारी ,
सच्चे मन से और लगन से ,दासी बन कर रहूँ तुम्हारी
मै जैसी हूँ,बस वैसी ही ,हो जाऊं तुम पर न्योछावर ,
पर तुम भी क्या सच्चे दिल से ,मुझसे प्यार करोगे प्रियतम
मुझको अपने मूल रूप में ,क्या स्वीकार करोगे प्रियतम
तुम कान्हा हो ,रास रचैया ,मै सीधी सादी सी राधा
कहीं अचानक छोड़ न जाना ,प्यार हमारा रहे न आधा
मै गोकुल में ,अश्रु बहाती रहूँ,द्वारिकाधीश बने तुम ,
आठ आठ पटरानी के संग,जा अभिसार करोगे प्रियतम
मुझको अपने मूल रूप में ,क्या स्वीकार करोगे प्रियतम
तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो ,ऊंचा नाम,राम तुम्हारा
सीता वन वन ,भटकी संग संग ,तुमने घर से उसे निकाला
क्या उस पर विश्वास नहीं था ,या था प्यार तुम्हारा झूंटा ,
अगर अहिल्या बनी शिला मै ,क्या उद्धार करोगे प्रियतम
मुझको अपने मूल रूप में ,क्या स्वीकार करोगे प्रियतम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'