Tuesday, August 30, 2011

हमें माफ़ करना नेताजी

हम भारत माता के बेटे,देश हमारा अपना है
भ्रष्टाचार मुक्तं हो भारत,यही हमारा सपना है
पिछली बार आप जब हमसे,बोट मांगने आये थे
कई किये थे हमसे वादे,क्या क्या सपन दिखाए थे
दूर गरीबी कर देंगे हम,कम कर देंगे मंहगाई
लेकिन सत्ता में आने पर,तुमने शकल न दिखलाई
मंहगाई दो गुना बढ़ गयी,सब चीजों के दाम बढे
भ्रष्टाचार और घोटाले,हुए देश में बड़े बड़े
मंहगाई पर रोक लगाने,जब जब जनता चिल्लाई
'नहीं कोई जादू की छड़ी है,दूर करे जो मंहगाई'
 एसा कह कर ,तुमने तो बस,अपना पल्ला झाड़ दिया
 आन्दोलन जब किया ,रात को,तुमने छुप कर वार किया
जनता की जायज मागों के,तुम विरोध में अड़े हुए
अरे  तुम्हारे कई मंत्री ,हैं जेलों में  पड़े  हुए
सत्याग्रह  और आन्दोलन में,बाधा सदा लगाये हो
धिक् है तुमको,अब किस मुंह से,बोट माँगने आये हो
हमें माफ़ करना नेताजी,तुमको बोट नहीं देंगे
किसी साफ़ सुथरी छवि वाले ,को हम संसद भेजेंगे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

पंच कोटि महा मनी

पंच कोटि महा मनी का,उच्च कोटि का खेल
कोटि कोटि मन लुभाता,सब रंगों का मेल
सब रंगों का मेल,कहीं देखा है अब तक
हॉट सीट पर बैठ,ह्रदय को मिलती ठंडक
पंच कोटि का नहीं,खेल ये सप्त कोटि का
बिग बी से दो बातें करना,दो कोटि का
  
मदन मोहन बाहेती,घोटू, नोयडा 

मेरी बीबी,बदली सी है

मेरी बीबी,बदली सी है
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बहुत गरजती है पहले ,फिर रस  बरसाती
मेरी बीबी इसी तरह से प्यार जताती
बिजली  सी कड़का करती है,बहुत कड़क है
माटी जैसी  मगर  मुलायम,अन्दर तक है
दग्ध ह्रदय का ताप,पीर है सब हर लेती
मुस्का,प्यार फुहार,प्रेम से बरसा देती
भिगा,प्रेम में, पागल करती,खुद हो पगली
मेरी बीबी,प्यार भरी है,सुख की बदली
यही कड़कपन,गर्जन,मन को लगे है भली
बदला सब कुछ,उम्र ,ज़माना,ये ना बदली
 


मदन मोहन बाहेती'घोटू'

आदमी,संभल संभल जाता है

आदमी,संभल संभल जाता है
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कभी शर्म के मारे
कभी दर्द के मारे
दुःख और वेदना में
प्यार की उत्तेजना में
           आदमी ,पिघल  पिघल जाता है
पडोसी की प्रगति देख
दोस्त की सुन्दर बीबी देख
प्यार में दीवाने सा
शमा पर परवाने सा
            आदमी,जल जल जल जाता है
गर्मी में पानी देख
मचलती  जवानी देख
भूख में खाने को
हुस्न देख पाने को
              आदमी मचल मचल  जाता है
प्यार भरी भाषा से
अच्छे  दिन की आशा से
सुन्दर सी हिरोइन
देख ,मधुर सपने बुन
                 आदमी,बहल बहल जाता है
प्यार में सब खोकर
लगती है जब ठोकर
अपनों के दिए दुःख से
और हवाओं के रुख से
                    आदमी संभल संभल जाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'



 

शांति से क्रांति

शांति से क्रांति
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आज देश में,अग्निवेश में,कितने ही जयचंद छुपे है
दुराग्रही और अड़ियल कितने,कुटिलों को हम जान चुके है
ये चाहे जो करे कोई भी,नहीं विरोध प्रकट कर सकता
वरना तुमको गाली देने,रहते है तैयार  प्रवक्ता
कहने को तो जन प्रतिनिधि है,पर करते हैं तानाशाही
लूट खसोट हो रही कितनी,कितनी बढ़ा रहे मंहगाई
गीता कहती,जब धरती पर,घटता धर्म,पाप बढ़ता है
करने तभी धर्म की रक्षा,इश्वर को आना पड़ता  है
खुद में छुपी हुई ताकत को,जब हनुमत ने था पहचाना
लांघ समुद्र ,नहीं मुश्किल था,वापस  सीताजी को लाना
जब भी अत्याचार बढ़ा है,जागृति का संचार हुआ है
रावण हो या कंस,अंत में,सबका ही संहार हुआ है
भ्रष्टाचार मिटाने का यह,मुहीम चलाया है अन्ना ने
गाँव गाँव और गली गली में,अलख जगाया है अन्ना ने
देखो जन सैलाब उमड़ता,नयी क्रांति की राह यही है
भष्टाचार मुक्त भारत हो,जन जन की अब चाह यही है
अब जनता ,गुस्सा आने पर,तांडव ना,उपवास करेगी
और शांति से,नयी क्रांति का,उद्भव और विकास करेगी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

अनशन के बाद

 १
लालूजी ने संसद में भाषण दिया
और बतलाया कि किस तरह आक्रोश में,
जनता ने एक एम.पी.को ट्रेन से उतार दिया
सत्ताधारियों!यह तो एक ट्रेलर था,
पर इससे आप जनता के मूड को ताड़ सकते है
भष्टाचार नहीं मिटाया,
तो आज तो ट्रेन से उतारा,
कल सत्ता कि कुर्सी से उखाड़ सकते है
   २
अन्ना के अनशन के बाद,
एक जेब कतरे ने,
अपने ढंग से विद्रोह जतलाया
कि उसने तीन सांसदों कि जेब काट,
उन्हें अपना निशाना बनाया
उसने संकल्प किया है,
कि जिनने जनता कि जेब काटी है
उनसे शांतिपूर्ण ढंग से बदला लूँगा
अब सिर्फ नेताओं की ही जेब काटूँगा

मदन मोहन बहेती 'घोटू'