कॉम्पिटिशन
समझ न पड़ता ,किस रस्ते पर ,आज जमाना आमादा है
काम भले ही कम होता है ,पर कॉम्पिटिशन ज्यादा है
कल बीबीजी का खत आया ,दो पन्नो में ,सौ अक्षर थे
उनमे भी आधे से ज्यादा ,प्यारे प्रियतम या डिअर थे
उनकी एक मैरिड बहन है ,हुआ बरस भर ही शादी को
मगर चीन से लड़ने के हित बढ़ा रही है आबादी को
तो मेरी उन सालीजी और बीबी में कॉम्पिटिशन है
किसका पति ज्यादा अच्छा ,किसमें लेटर लिखने का फ़न है
तो अबके से चेत गयी है ,देखें किसको कौन हराये
वो जीतेगी ,जिसके पति का ,जितना लम्बा लेटर आये
वल्लाह ये भी बात हुई क्या ,लेटर से पति को तौलेगी
बीबी लिखती लम्बा खत लिखना वरना वो ना बोलेगी
सौ बार भले ही नाम हमारा लिखदो पर लम्बा हो लेटर
अबके से मैं ही जीतूंगी ,अबके से हारेगी सिस्टर
तो अब बढ़ गयी भैया ,कॉम्पिटिशन तगड़ा होगा
दूर तमाशा देखे मुर्गी ,अब मुर्गो में झगड़ा होगा
मैंने साफ़ लिख दिया उनको ,जो तुम झगड़ो चीज चीज में
तुम जानो और काम तुम्हारा जाने मैं क्यों पडूँ बीच में
आज बात लेटर की ही है ,जाने कल बाजी लग जाए
देखें उनमे अब से पहले ,मौसी किसको कौन बनाये
बात औरतों की है भैया कौन खबर कल फिर बढ़ जाए
वो जीते जो सबसे पहले ,फूटबाल की टीम बनाये
उनका कॉम्पिटिशन ठहरा ,अपनी मगर मुसीबत होगी
कंवारे रहते ,अगर जानते ,शादी ऐसी आफत होगी
पर कॉम्पिटिशन के चक्कर में हमने शादी कर डाली
सभी फ्रेंड ,मैरिड हो गए ,केवल हामी पड़े थे खाली
डाला सर ओखली में जिनने ,उनमे अपना नंबर आया
इस कॉम्पिटिशन के चक्कर से कोई भी ना बच पाया
फिर भी बात मान बीबी की ,लम्बा खत लिखने बैठा हूँ
देती दूध गाय की लात सहूंगा ,बनिए का बेटा हूँ
क्षमा कीजिये श्रीमती जी ,यदि लेटर में कुछ गलती है
क्योंकि लम्बा खत लिखना है ,इसीलिये कविता लिख दी है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
समझ न पड़ता ,किस रस्ते पर ,आज जमाना आमादा है
काम भले ही कम होता है ,पर कॉम्पिटिशन ज्यादा है
कल बीबीजी का खत आया ,दो पन्नो में ,सौ अक्षर थे
उनमे भी आधे से ज्यादा ,प्यारे प्रियतम या डिअर थे
उनकी एक मैरिड बहन है ,हुआ बरस भर ही शादी को
मगर चीन से लड़ने के हित बढ़ा रही है आबादी को
तो मेरी उन सालीजी और बीबी में कॉम्पिटिशन है
किसका पति ज्यादा अच्छा ,किसमें लेटर लिखने का फ़न है
तो अबके से चेत गयी है ,देखें किसको कौन हराये
वो जीतेगी ,जिसके पति का ,जितना लम्बा लेटर आये
वल्लाह ये भी बात हुई क्या ,लेटर से पति को तौलेगी
बीबी लिखती लम्बा खत लिखना वरना वो ना बोलेगी
सौ बार भले ही नाम हमारा लिखदो पर लम्बा हो लेटर
अबके से मैं ही जीतूंगी ,अबके से हारेगी सिस्टर
तो अब बढ़ गयी भैया ,कॉम्पिटिशन तगड़ा होगा
दूर तमाशा देखे मुर्गी ,अब मुर्गो में झगड़ा होगा
मैंने साफ़ लिख दिया उनको ,जो तुम झगड़ो चीज चीज में
तुम जानो और काम तुम्हारा जाने मैं क्यों पडूँ बीच में
आज बात लेटर की ही है ,जाने कल बाजी लग जाए
देखें उनमे अब से पहले ,मौसी किसको कौन बनाये
बात औरतों की है भैया कौन खबर कल फिर बढ़ जाए
वो जीते जो सबसे पहले ,फूटबाल की टीम बनाये
उनका कॉम्पिटिशन ठहरा ,अपनी मगर मुसीबत होगी
कंवारे रहते ,अगर जानते ,शादी ऐसी आफत होगी
पर कॉम्पिटिशन के चक्कर में हमने शादी कर डाली
सभी फ्रेंड ,मैरिड हो गए ,केवल हामी पड़े थे खाली
डाला सर ओखली में जिनने ,उनमे अपना नंबर आया
इस कॉम्पिटिशन के चक्कर से कोई भी ना बच पाया
फिर भी बात मान बीबी की ,लम्बा खत लिखने बैठा हूँ
देती दूध गाय की लात सहूंगा ,बनिए का बेटा हूँ
क्षमा कीजिये श्रीमती जी ,यदि लेटर में कुछ गलती है
क्योंकि लम्बा खत लिखना है ,इसीलिये कविता लिख दी है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '