Friday, December 13, 2013

लेट लतीफ़

        लेट लतीफ़

बचपन के कच्चे दांत तो होते है दूध के ,
                    जो बाद में आते है वो टिकाते बहुत है
आते उभार कुछ है जब आती है जवानी ,
                     सीने पे सज के सब पे सितम ढाते बहुत है
कुछ लोगों की आदत है कि वो देर से आते ,
                      सबको ही इन्तजार वो कराते  बहुत है
खाने में सबके बाद में आती है'स्वीट डिश',
                       मीठे के प्रेमी 'घोटू'है,वो खाते बहुत है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

जोरू का गुलाम

   जोरू का गुलाम

लक्ष्मीपति है विष्णु और शंकर उमापति ,
और गणपति को पहले ,प्रणाम किया जाता
है राष्ट्रपति ,राष्ट्र का ,सर्वोच्च नागरिक ,
और सभापति को बहुत सन्मान दिया जाता
पूंजीपति है वो कि जो है पूंजी का मालिक ,
उद्योग पति वो है कि  जो उद्योग चलाता  
तो फिर विपत्ति रहती है क्यों सिर्फ पति पर ,
उसको ही क्यों है 'जोरू का गुलाम'कहा जाता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बीबीजी या सुप्रीम कोर्ट

       बीबीजी या सुप्रीम कोर्ट

गरदन झुका पेश आते है हम उनके सामने,
              कहते है 'माय लार्ड 'हरेक बात के पहले 
जजमेन्ट जो वे करते है ,होता है फ़ाइनल ,
           अपनी मज़ाल क्या जो उनसे ,कुछ कभी ,कह लें
गाउन पहन के जाते है हम उनके 'कोर्ट'में,
                           थोड़े से सहमे सहमे से ,थोड़े डरे डरे 
हम अपना पक्ष रखते है ,ये उनके हाथ है,
                         तारीख बढ़ा दे या फिर वो 'कोर्टशिप' करे
हम बार बार जाते पर मिलती न हरेक बार ,
                           मदिरा की है धारायें बहुत ,उनके 'बार 'में
बीबीजी नहीं वो तो बस 'सुप्रीम कोर्ट'है,
                           बन कर वकील रह गए ,हम उनके प्यार में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'