Friday, March 26, 2021

चलो एक बार फिर से 

हमारी और तुम्हारी अब ,निभे ना संग रह रह कर 
परेशां हो गए हम रोज के झगड़ों को सह सह कर 
बन गयी जिंदगी जिल्लत है ,इससे होगा ये बेहतर 
अहम की तुष्टि करने ,यूं नहीं टकराये हम दोनों 
चलो एक बार फिरसे अजनबी बन जाए हम दोनों 

भुलादें ये कभी बेइंतहां  हम प्यार करते थे      
दीवाने और पागल थे,एक दूजे पे मरते थे 
सात जन्मो के साथी हम ,हमेशा दम ये भरते थे
पुराने कसमें और वादे ,सभी बिसरायें हम दोनों 
चलो एक बार फिर से अजनबी ,बन जाएँ हम दोनों 

जमाना था ,हमारी और तुम्हारी ,एक थी चाहें 
नहीं रखता था कोई भी ,किसी से कुछ अपेक्षाएं 
मगर लगने लगा ऐसा ,जुदा  अपनी है अब राहें 
उलझ रिश्ते गए उनको , मिलें , सुलझायें हम दोनों 
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों 

चलोअनजान बन कर फिर लड़ाये ,प्यार से नज़रें 
सिलसिला प्यार का चालू ,नया करदें हो बेसबरे 
दिवाना बन उठाऊं मैं ,तुम्हारे नाज़ और नखरे 
पुराने प्यार में फिर ताज़गी भर लाएं हम दोनों 
चलो एक बार फिरसे अजनबी बन जाएँ हम दोनों 

प्यार की भड़के चिंगारी ,जगे दिल में ,मोहब्बत फिर 
उजड़ते प्यार के गुलशन में आये प्यारी रंगत  फिर
महक जाए पुरानी  जिंदगी ,बन जाए जन्नत फिर 
जवानी की हसीं यादें ,फिर से दोहराएं हम दोनों 
चलो एक बार फिर से अजनबी ,बन जाएँ हम दोनों 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
कोरोना ने करा दिया

इस कोरोना की दहशत ने ,सबको इतना डरा दिया
जो कोई करवा ना पाया , इसने वो सब   करा दिया

बात कड़क से कड़क सास की ,बहू नहीं जो सुनती थी
दिन भर बक बक करती रहती ,और न घूंघट रखती थी
अब ये हालत ,कोरोना डर ,दिन भर पट्टी है मुंह पर
वाक युद्ध अब बंद हो गया ,बंद हो गयी चपर चपर
कैंची सी चलती जुबान  पर, इसने  ताला लगा दिया
जो कोई  करवा ना पाया ,कोरोना ने करा  दिया
 
माँ बेटी को समझाती थी , भाव  वेग में नहीं बहो
 अपने यार दोस्तों के तुम पास न जाओ ,दूर रहो
 कोशिश लाख करी थी माँ ने ,पर बेटी ने सुना नहीं
अब कोरोना से बचने वो ,सबसे दूरी बना रही
अच्छे अच्छे जिद्दी को भी ,कोरोना ने हरा दिया
जो कोई करवा ना पाया ,कोरोना ने करा दिया

शादी हो कि सगाई ,मुंडन बड़ी बड़ी दावत होती
लाखों का खर्चा ,खाना बरबाद ,फ़जीयत थी होती
लेकिन ऐसी बंदिश बाँधी ,कोरोना के चक्कर में
कितने बड़े बड़े आयोजन ,निपट गये ,सिमटे घर में
व्यर्थ दिखावा ,शो बाजी बंद,अनुशासन है कड़ा किया
जो कोई करवा ना पाया ,कोरोना ने करा दिया

कॉन्फ्रेन्स ,मीटिंग ऑफिस की ,सभी वर्चुअल ,हुई बचत
घर से काम ,न ऑफिस जाना ,टली रोज की ये किल्लत
नामी और गिरामी सारे ,स्वामी बाबा,पूजास्थल
सारे  अंतर ध्यान हो गए ,बंद हुए  कोरोना डर
इनके सारे चमत्कार को ,कोरोना ने हरा दिया
जो कोई करवा ना पाया ,कोरोना ने करा दिया

मेडम ने चूल्हे चौके का ,सीखा काम ,पकाना भी
बंद हो गये पिक्चर शॉपिंग ,और होटल का खाना भी
साहब झाड़ू ,पोंछा बर्तन  और सफाई सीख गए
बच्चे घर में डिसिप्लीन में ,बैठ पढाई  सीख गए
परिवार की महिमा समझा ,आत्मनिर्भर है बना दिया
जो कोई करवा ना पाया ,कोरोना ने करा दिया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '