जीवन क्रिकेट
इस जीवन क्रिकेट के पिच पर ,
खेल रहे हम सभी खिलाड़ी
सबकी अपनी अपनी क्षमता ,
कोई सिख्खड़ ,कोई अनाड़ी
मै भी जब इस पिच पर उतरा ,
था नौसिखिया ,सभी सरीखा
हाथों में गिल्ली डंडा ले,
पहला खेल उसी से सीखा
धीरे धीरे बड़ा हुआ तो ,
ये क्रिकेट सी दुनिया देखी
तब ही सीखा बेट पकड़ना ,
और बॉल भी तब ही फेंकी
जब से बेट हाथ में आया ,
मैंने अपना हुनर दिखाया
बचा विकेट ,रन लिए मैंने,
थोड़ा मुझे खेलना आया
धीरे धीरे रन ले लेकर ,
कभी शतक भी मैं जड़ पाया
कभी एलबीडब्ल्यू आउट ,
कभी कैच मैंने पकड़ाया
कभी बॉल संग छेड़छाड़ के ,
लोगों ने इल्जाम लगाए
कितनी बार अपील करी कि,
मैं आउट हूँ,वो चिल्लाये
कभी रेफरी ने सच देखा,
कभी तीसरे अम्पायर ने
किन्तु खेल को पूर्ण समर्पित ,
टिका हुआ अब भी पिच पर मैं
हारा ,लोगो ने दी गाली,
जीता तो बिठलाया काँधे
पर मैंने धीरज ना खोया,
डिगे न मेरे अटल इरादे
स्पिन गुगली बॉलिंग करके ,
खूब दिये लोगों ने धोखे
लकिन जब भी पाए मौके ,
मैंने मारे ,छक्के,चौके
धीरे धीरे रहा खेलता ,
आपा ना खोया,धीरज धर
अपना ध्यान खेल पर देकर
जमा हुआ हूँ अब भी पिच पर
पांच दिवस के टेस्ट मैच के ,
चार दिवस तो बीत गए है
अब तक का स्कोर देख कर ,
लगता है हम जीत गए है
मदनमोहन बाहेती 'घोटू '