Tuesday, August 19, 2014

         पति पत्नी बुढ़ापे में-दो अनुभूतियाँ
                             १
हुई शादी ,मैं रहता था ,पत्नी  के प्यार में डूबा ,
       चली जाती कभी मैके ,बड़ा मैं  छटपटाता था
इशारों पर मैं उनके नाचा करता था सुखी होकर,
        कभी नाराज होती तो,मन्नतें कर मनाता था
फँसी फिर वो गृहस्थी में,और मैं काम धंधे में,
        बुढ़ापे तक दीवानापन ,सभी है फुर्र हो   जाता
बहानेबाजी करते रहते  है हम एक दूजे से,
       कभी  बी पी मेरा बढ़ता ,उन्हें सर दर्द हो जाता
                          २
जवानी में  बहुत  कोसा ,और डाटा उसे मैंने,
               बुढ़ापे में मेरी बीबी ,बहुत  है  डांटती  यारों
रौब मेरा, सहन उसने कर लिया था जवानी में,
               आजकल रौब दूना ,रोज मुझ पर गांठती यारों
जवानी में बहुत उसको ,चिढाया ,चाटा था मैंने ,
                आजकल जम के वो दिमाग मेरा ,चाटती यारों
बराबर कर रही हिसाब वो सारा पुराना है ,
                 मैंने काटी थी उसकी बातें अब वो काटती  यारों

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


               
       


        
                     कोयला
सलाह दी कोई ने ये  कोयले से प्यार मत करना ,
             हुआ पैदा जो जल जल कर ,कहाँ ठंडक दिलाएगा
छुओगे जो गरम को तो,जला फिर  हाथ वो देगा ,
            अगर छुओगे ठन्डे को ,तुम्हे कालिख लगायेगा
हम बोले, चीज कैसी हो ,मगर तुम पे ये निर्भर है ,
            फायदा उसके गुण का ,किस तरह तुम उठा सकते
प्रेस धोबी गरम करता ,छानता कोई पानी है,
           जला कर सिगड़ी रोटी भी ,करारी सेक  खा  सकते

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 
 
           हम भी कैसे है?

प्रार्थना करते ईश्वर से ,घिरे बादल ,गिरे पानी,
          मगर बरसात  होती है तो छतरी तान लेते है
बहुत हम चाहते  है कि चले झोंके हवाओं के ,
           हवा पर चलती जब ठंडी ,बंद कर द्वार लेते है
हमारी होती है इच्छा ,सुहानी धूप खिल जाये ,
            मगर जब धूप खिलती है,छाँव में  भाग जाते है
 देख कर के हसीना को,आरजू करते पाने की,
           जो मिल जाती वो बीबी बन,गृहस्थी में जुटाते है
हमेशा हमने देखा है,अजब फितरत है इन्सां की  ,
           न होता पास जो उसके  ,उसी की चाह करता  है
मगर किस्मत से वो सब कुछ ,उसे हासिल जो हो जाता ,
          नहीं उसकी जरा भी  फिर,कभी परवाह करता है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'