Wednesday, December 15, 2010

संस्कार

        संस्कार
वो संस्कारी थे
संस्कृति के पुजारी थे
आजकल बुढ़ापा कैसे बिताते है
संस्कार चेनल देखते है
son s  कर में घूमते है
और son s कृति को  खिलाते है

नया जमाना

     नया जमाना
घंटो तक बच्चे करे ,अनजानों से चेट
संस्कृति को खाने लगे,टी.वी. इन्टरनेट
ना तो पढ़ने में रूचि,ना वो खेले खेल
लेपटोप ले गोद में ,भेज रहे ई मेल
ऐसी हम सब पर पड़ी,मोबाइल की मार
मोबाइल होने लगे,संस्कार,आचार
बढे बुधो की आजकल,बात सुनेगा कौन
कानो से हटता नहीं,जब मोबाइल फोन
देखे टी.वी.सीरियल ,ऐसा पाए ज्ञान
बचपन में ही आजकल,बच्चे बने जवान
ये साधन विज्ञानं के ,देने को सहयोग
एडिक्शन यदि हो गया, बन जायेगे रोग