संस्कार
वो संस्कारी थे
संस्कृति के पुजारी थे
आजकल बुढ़ापा कैसे बिताते है
संस्कार चेनल देखते है
son s कर में घूमते है
और son s कृति को खिलाते है
http://blogsmanch.blogspot.com/" target="_blank"> (ब्लॉगों का संकलक)" width="160" border="0" height="60" src="http://i1084.photobucket.com/albums/j413/mayankaircel/02.jpg" />
Wednesday, December 15, 2010
नया जमाना
नया जमाना
घंटो तक बच्चे करे ,अनजानों से चेट
संस्कृति को खाने लगे,टी.वी. इन्टरनेट
ना तो पढ़ने में रूचि,ना वो खेले खेल
लेपटोप ले गोद में ,भेज रहे ई मेल
ऐसी हम सब पर पड़ी,मोबाइल की मार
मोबाइल होने लगे,संस्कार,आचार
बढे बुधो की आजकल,बात सुनेगा कौन
कानो से हटता नहीं,जब मोबाइल फोन
देखे टी.वी.सीरियल ,ऐसा पाए ज्ञान
बचपन में ही आजकल,बच्चे बने जवान
ये साधन विज्ञानं के ,देने को सहयोग
एडिक्शन यदि हो गया, बन जायेगे रोग
घंटो तक बच्चे करे ,अनजानों से चेट
संस्कृति को खाने लगे,टी.वी. इन्टरनेट
ना तो पढ़ने में रूचि,ना वो खेले खेल
लेपटोप ले गोद में ,भेज रहे ई मेल
ऐसी हम सब पर पड़ी,मोबाइल की मार
मोबाइल होने लगे,संस्कार,आचार
बढे बुधो की आजकल,बात सुनेगा कौन
कानो से हटता नहीं,जब मोबाइल फोन
देखे टी.वी.सीरियल ,ऐसा पाए ज्ञान
बचपन में ही आजकल,बच्चे बने जवान
ये साधन विज्ञानं के ,देने को सहयोग
एडिक्शन यदि हो गया, बन जायेगे रोग
Subscribe to:
Posts (Atom)