Thursday, May 1, 2014

हम भी तो है

        हम भी तो है

अगर बसाना है जो कोई निगाहों में ,
                              हम भी तो है
साथ चाहिए,यदि जीवन की राहों में,
                             हम भी तो है
अगर जगह खाली तुम्हारी चाहों में,
                            हम भी तो है
क्या रख्खा है,यूं ही ठंडी आहों में ,
                            हम भी तो है
तकिये को तुमक्यों भरती  हो बाहों में ,
                             हम भी तो है
पलक बिछा कर बैठे तेरी राहों में,
                             हम भी तो है
जो दर्दे दिल करती दूर ,दवाओं में ,
                             हम भी तो है
भरने रंगत ,मौसम और फिजाओं में ,
                             हम भी तो है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हाल-बुढ़ापे का

        हाल-बुढ़ापे का

याद  है  वो  जवानी  के  वक़्त  थे
हम बड़े ही कड़क थे और सख्त थे
ताजगी थी  , भरा हममें  जोश था
बुलंदी पर थे , हमें कब  होश   था
रौब था और बड़ी तीखी धार थी
थी नहीं परवाह कुछ संसार की
जवां था तन,जेब में भी माल था
इस तरह से  बन्दा ये खुशहाल था
हुए बूढ़े अब हम ढीले पड़  गए
वृक्ष के सब पात पीले पड़  गए
ना रहा वो जोश ,ना सख्ती रही
अब तो केवल भजन और भक्ति रही
मारा  करते फाख्ता थे जब मियां   
गए वो दिन, बुढ़ापे  के  दरमियाँ
हो गया   ऐसा हमारा हाल  है
मन मचलता ,मगर तन कंगाल है

मदन मोहन बहती'घोटू'

मेरा नंबर कब आएगा

           मेरा नंबर कब आएगा

खुदा ने खुल्ले हाथों बख्शी तुझको हुस्न की दौलत ,
     बड़ा तक़दीर वाला ही, तुम्हारा  प्यार पायेगा
बड़ी लम्बी लगी लाइन तेरे आशिकों की है ,
      लगाए आस बैठा मै ,मेरा नंबर कब आएगा
घोटू

अफवाह

         अफवाह

गजब की खूबसूरत हो
समझदारी की मूरत हो
सुने हर बात और माने
पति को देवता   जाने
कभी भी जो खफा ना हो
कभी भी बेवफा ना हो
करे सब काम जो घर का
नहीं हो शौक ,जेवर  का
न हो फैशन की दीवानी
बने ना घर की महारानी
सास की बात माने जो
बनाये ना ,बहाने जो
जिसे 'ना'कहना ना आये
हमेशा खुश हो मुस्काये
काम करने की आदी हो
बड़ी  ही सीधीसादी  हो
मिले ऐसी अगर बीबी,तो सब वाह वाह कहते है
कहा घोटू ने मुस्का कर
दिवा ये स्वप्न है सुन्दर
भरे गुण इतने ,जिसमे सब
खुदा की फैक्टरी में अब
नहीं ये माल बनता है ,इसे अफवाह  कहते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

दिल के अरमां ,आंसूओ में खो गये

  दिल के अरमां ,आंसूओ में खो  गये
                       १ 
शाम को सजती,संवरती मै रही,
                      आओगे तुम,प्यार निज दरशाओगे
बाँध लोगे बांहों  में अपनी मुझे ,
                       या कि मेरी बांहों  में बंध  जाओगे
आये थके हारे तुम ,खाया पिया ,
                         टी वी देखा  और झटपट  सो गये
क्या बताएं ,रात फिर कैसे कटी ,
                           दिल के अरमां ,आंसूओं में खो गये 
                            २
मुश्किलों से पार्टी का पा टिकिट ,
                       उतरे हम चुनाव के मैदान में
गाँव गाँव ,हर गली ,सबसे मिले ,
                   पूरी ताकत झोंकी अपनी जान  में
पानी सा पैसा बहाया ,सोच ये,
                       कमा लेंगे ,एम पी. जो हो गये
नतीजा  आया ,जमानत जप्त थी,
                       दिल के अरमां , आंसूओं में खो  गये 
                         ३
हुई शादी,प्यारी सी बीबी मिली,
                       धीरे धीरे ,बेटे भी दो हो गये
बुढ़ापे का सहारा ये बनेगें ,
                      लगा कर ये आस हम खुश हो गये
पढ़े,लिख्खे,नौकरी अच्छी  मिली ,
                      हुई शादी,अलग हमसे हो गये
बुढ़ापे में हम अकेले रह गये,
                  दिल के अरमां , आंसूओं में खो  गये

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

मई से मई तक

    मई  से मई तक

मई में,
एक सुरमई आँखों वाली से ,
सुर मिले
उसकी प्रेममयी बातों ने,
प्रेम का मय पान कराया
फिर आनंदमयी जिंदगी के सपने देखे
परिणाम में परिणय हुआ
और अगली मई तक,
वो प्रेममयी ,आनंदमयी ,सुरमई आँखों वाली ,
ममतामयी बन गयी

घोटू

प्रिय पत्नी तारा बाहेती के जन्मदिवस पर

    मेरी प्रिय पत्नी तारा बाहेती के जन्मदिवस पर
               शुभकामनाओं सहित

सड़सठ की हो गयी ,मगर अब भी मतवाली
वही  कशिश  है,वही  अदायें ,सत्रह  वाली
पांच दशक के बाद अभी भी उतनी  दिलकश
पास तुम्हारे आने को मन करता  बरबस 
वही ठुमकती  चाल ,निगाहें वो ही कातिल
मधुर मधुर  मुस्कान ,मोह  लेती मेरा दिल
तिरछी नज़रों वाला वो अंदाज ,वही है
वो ही साँसों की सरगम है ,साज वही है
 तो क्या हुआ ,बढ़ गया कंचन है जो तन पर 
तो क्या हुआ चढ़ गया चश्मा,अगर नयन पर
वो ही सुन्दर तन है,वैसी ही सुषमा है
और प्यार में ,अब भी वैसी ही ऊष्मा है
वही महकता बदन लिये खुशबू चन्दन की
वो ही प्यारी छटा और आभा यौवन की
अब भी तुम में वही चाशनी ,मीठी  रस की
बहुत बधाई तुमको अपने जनम दिवस की
सदा रहे मुख पर छाई  ,मुस्कान निराली
वही कशिश है ,वही अदायें , सत्रह  वाली

मदन मोहन बाहेती 'घोटू' 

पत्नी तारा बाहेती के जन्मदिवस पर

    मेरी प्रिय

               शुभकामनाओं सहित

सड़सठ की हो गयी ,मगर अब भी मतवाली
वही  कशिश  है,वही  अदायें ,सत्रह  वाली
पांच दशक के बाद अभी भी उतनी  दिलकश
पास तुम्हारे आने को मन करता  बरबस 
वही ठुमकती  चाल ,निगाहें वो ही कातिल
मधुर मधुर  मुस्कान ,मोह  लेती मेरा दिल
तिरछी नज़रों वाला वो अंदाज ,वही है
वो ही साँसों की सरगम है ,साज वही है
 तो क्या हुआ ,बढ़ गया कंचन है जो तन पर 
तो क्या हुआ चढ़ गया चश्मा,अगर नयन पर
वो ही सुन्दर तन है,वैसी ही सुषमा है
और प्यार में ,अब भी वैसी ही ऊष्मा है
वही महकता बदन लिये खुशबू चन्दन की
वो ही प्यारी छटा और आभा यौवन की
अब भी तुम में वही चाशनी ,मीठी  रस की
बहुत बधाई तुमको अपने जनम दिवस की
सदा रहे मुख पर छाई  ,मुस्कान निराली
वही कशिश है ,वही अदायें , सत्रह  वाली

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'