ठोकर खाकर सीखेगा
बात बात पर गर्मी मत खा,
तू गम खाकर सीखेगा
ठीक किस तरह ,सेहत रखना ,
तू कम खाकर सीखेगा
माँ बोली कि खा बादामें ,
अक्ल तेज हो जायेगी,
देसी घी का मालताल तू,
सब तर खा के ,सीखेगा
कहा पिताजी ने चलने दो ,
इसको अपने ही ढंग से ,
इधर उधर जब ये भटकेगा ,
चक्कर खाकर सीखेगा
गुरु ने बोला ,जीवन का ये,
सफ़र,जटिल आसान नहीं
पथरीले रास्तों पर चल कर ,
ठोकर खाकर सीखेगा
समझदार कोई ये बोला ,
इसकी शादी करवा दो,
डाट ऊमर भर घरवाली की ,
ये खा खा कर सीखेगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू '
बात बात पर गर्मी मत खा,
तू गम खाकर सीखेगा
ठीक किस तरह ,सेहत रखना ,
तू कम खाकर सीखेगा
माँ बोली कि खा बादामें ,
अक्ल तेज हो जायेगी,
देसी घी का मालताल तू,
सब तर खा के ,सीखेगा
कहा पिताजी ने चलने दो ,
इसको अपने ही ढंग से ,
इधर उधर जब ये भटकेगा ,
चक्कर खाकर सीखेगा
गुरु ने बोला ,जीवन का ये,
सफ़र,जटिल आसान नहीं
पथरीले रास्तों पर चल कर ,
ठोकर खाकर सीखेगा
समझदार कोई ये बोला ,
इसकी शादी करवा दो,
डाट ऊमर भर घरवाली की ,
ये खा खा कर सीखेगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू '