मामूली आदमी
मैं एक मामूली आदमी हूं
पहले मैं खुद को आम आदमी कहता था
संतोषी और सुखी रहता था
पर जब से केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई है
आम आदमी बनने का नाटक कर ,
आम आदमी की खिल्ली उड़ाई है
कहीं आम आदमी की,अपने घर को
सुधारने के लिए छियांलिस करोड़ रुपए
खर्च करने की औकात होती है
पर इन नेताओं की अलग ही जात होती है
गले में मफलर डालने भर से
कोई आम आदमी नहीं बन जाता
पर जनता को बरगलाने के लिए ,
यह नाटक है किया जाता
यूं भी आजकल आम के दाम
छू रहे हैं आसमान
आम खाना, आम आदमी की पहुंच से
बाहर हो रहा है
इसलिए आम आदमी ,आम आदमी नहीं रहा है
आजकल आम आदमी की पहुंच में है मूली इसलिए आम आदमी ,बन गया है मामूली
मेरी औकात भी मूली पर आकर है थमी
और मैं बन गया हूं मामूली आदमी
मदन मोहन बाहेती घोटू