अंगूठी -क्यों रूठी
कल मैंने अंगूठी से पूछा 'अंगूठी
तुम अपने प्रियतम अंगूठे से क्यों रूठी
क्या बात हुई जो तुमने उससे मुख मोड़ा
उसे अकेले तन्हाई में तड़फता छोड़ा
और पड़ोस में रहने वाली उंगलियों के साथ
गुजार रही हो अपने दिन और रात
अंगूठी बोली क्या करूं
,मेरा पिया अनपढ़ है ,
मुझे बिलकुल नहीं सुहाता है
दस्तखत भी नहीं कर सकता ,
अंगूठा लगाता है
झगड़ालू भी है ,
मुझे टी ली ली ली कह कर चिढ़ाता है
किसी से उधार लेकर नहीं चुकाता
अंगूठा दिखाता है
कभी 'थम्स अप 'करता है ,
कभी 'थम्स डाउन 'कहता है
मेरे लिए उसके पास वक़्त ही नहीं है ,
फेसबुक और व्हाट्सअप में इतना व्यस्त रहता है
बस इन्ही कारणों से मेरी उससे नहीं पट पाती है
और जब मैंने देखा कि उंगलिया ,
अपने इशारों पर पति को नचाती है
तो उनसे सीखने को ये हुनर ख़ास
मैं चली आयी हूँ उँगलियों के पास
फिर भी जब कभी आती है उनकी याद
तो जब कुछ लिखने को कलम पकड़ने ,
जब उँगली आती है अंगूठे के पास
मैं कर लेती हूँ उनकी नजदीकियों का अहसास
मैंने कहा जब तुम्हारी और तुम्हारे पति में ,
अलगाव और दूरियां स्पष्ट नज़र आती है
तो फिर मिलन की प्रथम रस्म याने कि सगाई में ,
ऊँगली में अंगूठी क्यों पहनाई जाती है
अंगूठी हंसी और बोली कि
सगाई में अंगूठी इसलिए पहनाई जाए
ताकि प्रथम मिलन में ही होने वाले पति पत्नी ,
एक दूसरे को अंगूंठा नहीं दिखलायें
मदन मोहन बाहेती'घोटू'