सूरज,चाँद और तारे
सूरज
सूरज सूर है बड़ा,
जहाँ जहाँ जाता है
अँधेरे को हराता है
और जीती सीमा पर,
उजाला फैलाता है
उन्ही उन्ही जगहों पर,
दिन होता जाता है
चाँद
चंद्रमा की तो बड़ी,
निराली कहानी है
दुनिया में एसा ना,
कोई भी दानी है
सूरज से रौशनी,
वो उधार लेता है
और प्रकाश दुनिया में,
वो बाँट देता है
जब उधार कम मिलता,
तो वो घट जाता है
जब उधार ज्यादा मिलता,
तो वो बढ़ जाता है
पूनम को खुशहाल है
अमावास को कंगाल है
तारे
नन्हे नन्हे से तारे
दिन भर खेलने के बाद,थके हारे
बेचारे
आसमान में जाकर ,नींद के मारे
कभी पलक बंद करते,
कभी जाग जाते है
और हमको लगता है,
कि वो टिमटिमाते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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Saturday, August 11, 2012
आजकल हम रोज जिम जाने लगे है
आजकल हम रोज जिम जाने लगे है
प्यार में हम जिनके पगलाने लगे है
आजकल वो हमसे कतराने लगे है
तहे दिल से उनसे करते है मोहब्बत,
और उनको हम तो दीवाने लगें है
थोड़ी सी अच्छी हुई सेहत हमारी,
कहते है कि हम अब मोटियाने लगे है
दिल मिलाने की कहो तो तिलमिलाते,
आजकल वो नखरे दिखलाने लगे है
पेट या सरदर्द का करके बहाना,
किस तरह भी हम को टरकाने लगे है
दुबले होने डाइटिंग के नाम पर हम,
उबली सब्जी ,टमाटर ,खाने लगे है
'घोटू 'हम स्टीम ,सोना बाथ लेकर,
अपनी चर्बी , थोड़ी छटवाने लगे है
जब से उनने हमको मोटा कह दिया है,
आजकल हम रोज जिम जाने लगे है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
प्यार में हम जिनके पगलाने लगे है
आजकल वो हमसे कतराने लगे है
तहे दिल से उनसे करते है मोहब्बत,
और उनको हम तो दीवाने लगें है
थोड़ी सी अच्छी हुई सेहत हमारी,
कहते है कि हम अब मोटियाने लगे है
दिल मिलाने की कहो तो तिलमिलाते,
आजकल वो नखरे दिखलाने लगे है
पेट या सरदर्द का करके बहाना,
किस तरह भी हम को टरकाने लगे है
दुबले होने डाइटिंग के नाम पर हम,
उबली सब्जी ,टमाटर ,खाने लगे है
'घोटू 'हम स्टीम ,सोना बाथ लेकर,
अपनी चर्बी , थोड़ी छटवाने लगे है
जब से उनने हमको मोटा कह दिया है,
आजकल हम रोज जिम जाने लगे है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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