भाग्य का आलेख
कोई कितना भ्रमित करदे ,स्वप्न सुनहरे दिखा कर
हमें बस मिलता वही है,लाये है जो हम लिखा कर
भाग्य के आलेख को ,कोई बदल सकता नहीं है
लिखा है तकदीर में जो,हमें बस मिलता वही है
हम कहाँ की सोचते है,पहुँचते है कहाँ जाकर
हमें बस मिलता वही है ,लाये हैं जो हम लिखा कर
कर्म निज करते रहें हम,स्वयं में विश्वास रख कर
बढ़ें आगे ,लक्ष्य पाने ,धेर्य को निज,साथ रख कर
नियति अपने आप देगी,सफलताओं से मिला कर
हमें बस मिलता वही है,लाये है जो भी लिखा कर
दिग्भ्रमित करने तुम्हारी,राह में अड़चन मिलेगी
कभी कांटे भी चुभेंगे , कभी ठोकर भी लगेगी
अँधेरे में ,पथ प्रदर्शन,करे वो दिया जलाकर
हमें बस मिलता वही है,लाये है,जो भी लिखाकर
भाग्य में यदि महाभारत ,लिखी है जो विधाता ने
कृष्ण खुद ही आयेंगे ,बन सारथी ,रथ को चलाने
युद्ध में तुमको जिताएंगे तुम्हारा हक दिला कर
हमें बस मिलता वही है ,लाये हैं हम जो लिखा कर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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Saturday, February 16, 2013
पेट पूजा
पेट पूजा
आओ हम तुम बैठ
हाथों में ले प्लेट,
पहले पेट पूजा करें
अपना पेट भरें
क्योंकि कोई भी काम ठीक से,
तभी होता है,जब पेट भरता है
इस पापी पेट के कारण ,
आदमी क्या क्या नहीं करता है
पेट,शरीर का वो अंग है,
जो सबसे ज्यादा आलसी और सुस्त है
हाथ ,पाँव,मुंह,आँख और दांत,
सभी काम करते है,चुस्त है
पर पेट आराम से बैठा ,
इन अंगों से काम करवाता है
और बैठा बैठा ,मजे से खाता है
पेट,पेटी जैसा है,
इसमें सब कुछ समा जाता है
पेट की अपनी कोई पसंद नहीं होती,
वो जिव्हा की पसंद पर निर्भर है
जिव्हा ,स्वाद ले ले कर खाती है,
और बेचारा पेट,जाता भर है
जो भी मुंह,पीता या खाता है
पेट में चला जाता है
और पेट,बैठा बैठा उसे पचाता है
पेट में सिर्फ खाना पीना ही नहीं ,
कई चीजें जाती है
जैसे कोई खबर हो या राज की बात ,
औरतों के पेट में जाती है ,
मगर पच ना पाती है
नेताओं का पेट बड़ा मोटा होता है,
जिसमे करोड़ों की रिश्वत समां जाती है
फिर भी उनकी भूख नहीं जाती है
गरीब का पेट ,पिचका हुआ होता है,
और मेहनत मजदूरी करके ,जब वो कुछ खाता है
तब पीठ और पेट का अंतर नज़र आता है
लालाओं के पेट,काफी बड़े रहते है
जिसे तोंद कहते है
ये ऐसे लोग होते है,जो खूब खाते है ,
तोंद बढ़ाते है,
फिर तोंद के कारण ही परेशान रहते है
घबराहट में ,आदमी के पेट में पानी पड जाता है
और ज्यादा हंसने पर पेट में बल पड़ने लगते है
और ज्यादा भूख लगने पर,
पेट में चूहे दौड़ने लगते है
बाबा रामदेव ने टी वी पर
अपना पेट हिला हिला कर ,
करोड़ों भक्त बना लिए है
और अरबों कमा लियें है
समझदार महिलायें ,जानती है ,
कि पति को किस तरह पटाया जाता है
वो पति के पेट का ,पूरा ख्याल रखती है,
क्योंकि ,दिल का रास्ता ,पेट से होकर जाता है
पेट के खातिर ,कितनी ही नर्तकियां
बेली डांस करती है,पेट को नचा नचा
कोई भी काम ,अच्छी तरह करने के पहले ,
पेट की पूजा की जाती है
और कोई भी काम की सिद्धि के लिए,
बड़े पेट वाले याने लम्बोदर गणेश जी ,
को पूजा चढ़ाई जाती है
आदमी की जिंदगी का उदयकाल,
नौ महीने तक माँ के पेट में ही रहता है
और जिंदगी भर,आदमी ,पेट के चक्कर में ही,
दिन रात काम में ही लगा रहता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
आओ हम तुम बैठ
हाथों में ले प्लेट,
पहले पेट पूजा करें
अपना पेट भरें
क्योंकि कोई भी काम ठीक से,
तभी होता है,जब पेट भरता है
इस पापी पेट के कारण ,
आदमी क्या क्या नहीं करता है
पेट,शरीर का वो अंग है,
जो सबसे ज्यादा आलसी और सुस्त है
हाथ ,पाँव,मुंह,आँख और दांत,
सभी काम करते है,चुस्त है
पर पेट आराम से बैठा ,
इन अंगों से काम करवाता है
और बैठा बैठा ,मजे से खाता है
पेट,पेटी जैसा है,
इसमें सब कुछ समा जाता है
पेट की अपनी कोई पसंद नहीं होती,
वो जिव्हा की पसंद पर निर्भर है
जिव्हा ,स्वाद ले ले कर खाती है,
और बेचारा पेट,जाता भर है
जो भी मुंह,पीता या खाता है
पेट में चला जाता है
और पेट,बैठा बैठा उसे पचाता है
पेट में सिर्फ खाना पीना ही नहीं ,
कई चीजें जाती है
जैसे कोई खबर हो या राज की बात ,
औरतों के पेट में जाती है ,
मगर पच ना पाती है
नेताओं का पेट बड़ा मोटा होता है,
जिसमे करोड़ों की रिश्वत समां जाती है
फिर भी उनकी भूख नहीं जाती है
गरीब का पेट ,पिचका हुआ होता है,
और मेहनत मजदूरी करके ,जब वो कुछ खाता है
तब पीठ और पेट का अंतर नज़र आता है
लालाओं के पेट,काफी बड़े रहते है
जिसे तोंद कहते है
ये ऐसे लोग होते है,जो खूब खाते है ,
तोंद बढ़ाते है,
फिर तोंद के कारण ही परेशान रहते है
घबराहट में ,आदमी के पेट में पानी पड जाता है
और ज्यादा हंसने पर पेट में बल पड़ने लगते है
और ज्यादा भूख लगने पर,
पेट में चूहे दौड़ने लगते है
बाबा रामदेव ने टी वी पर
अपना पेट हिला हिला कर ,
करोड़ों भक्त बना लिए है
और अरबों कमा लियें है
समझदार महिलायें ,जानती है ,
कि पति को किस तरह पटाया जाता है
वो पति के पेट का ,पूरा ख्याल रखती है,
क्योंकि ,दिल का रास्ता ,पेट से होकर जाता है
पेट के खातिर ,कितनी ही नर्तकियां
बेली डांस करती है,पेट को नचा नचा
कोई भी काम ,अच्छी तरह करने के पहले ,
पेट की पूजा की जाती है
और कोई भी काम की सिद्धि के लिए,
बड़े पेट वाले याने लम्बोदर गणेश जी ,
को पूजा चढ़ाई जाती है
आदमी की जिंदगी का उदयकाल,
नौ महीने तक माँ के पेट में ही रहता है
और जिंदगी भर,आदमी ,पेट के चक्कर में ही,
दिन रात काम में ही लगा रहता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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