Thursday, August 14, 2014

आदतें

             आदतें

भले ही कितनी भी बढ़ जाये औरत की उमर लेकिन,
          शौक सजने सँवरने का ,कभी भी छूट ना पाता
भले कितना  भी बूढा ,कोई भी हो जाए बन्दर पर,
       गुलाटी मारने में उसको है हरदम  मज़ा आता
चोर चोरी से शायद बाज भी आ सकता है थोड़ा ,
        मगर वो हेराफेरी से ,कभी भी बाज ना आता ,
भले ही लाख धोवो ,रंग लेकिन काला  काजल का ,
            हमेशा  रहता काला है, कभी  उजला नहीं पाता

घोटू

स्वाद

                स्वाद

जो लज्जत ,दाल रोटी में,माँ के हाथों की होती है ,
         किसी मंहगे से मंहगे रेस्तरां में ,मिल नहीं सकती
जो ठंडक ,कुदरती ठंडी हवा के झोंकों में होती,
        लगा लो ऐ सी या कूलरवो राहत मिल नहीं सकती
भले ही लन्दन हो पेरिस हो या न्यूयार्क ही हो पर,
       सिर्फ दो चार दिन तक घूमना ही अच्छा लगता है,
शांति  आपको  जो अपने घर में आ के मिलती है ,
      फाइवस्टार होटल में ठहर कर मिल नहीं सकती

घोटू