मेरी बेटी
मेरी बेटी ,मुझे खुदा की ,बड़ी इनायत
हर एक बात में, मेरी करती रहे हिमायत
कितनी निश्चल ,सीधी साधी, भोली भाली
हंसती रहती, उसकी है हर बात निराली
कुछ भी काम बताओ ,करने रहती तत्पर
कुछ भी कह दो,नहीं शिकन आती चेहरे पर
सच्चे दिल से ,मेरा रखती ख्याल हमेशा
नहीं प्यार करता है कोई उसके जैसा
कितनी ममता भरी हुई है उसकी चाहत
मेरी बेटी ,मुझे खुदा की बड़ी नियामत
जितना प्यार दिया बचपन में मैंने उसको
उसे चोगुना करके ,बांट रही है सबको
चुस्ती फुर्ती से करती सब काम हमेशा
उसके चेहरे पर रहती मुस्कान हमेशा
कुछ भी काम बता दो ,ना कहना, ना सीखा
सब को खुश रखने का आता उसे तरीका
हर एक बात पर ,देती रहती मुझे हिदायत
मेरी बेटी ,मुझे खुदा की ,बड़ी इनायत
मैके,ससुराल का रखती ख्याल बराबर
दोनों का ही रखती है बैलेंस बनाकर
सबके ही संग बना रखा है रिश्ता नाता
कब क्या करना ,कैसे करना ,उसको आता जिंदादिल है खुशमिजाज़ है लगती अच्छी
मुझको गौरवान्वित करती है मेरी बच्ची
होशियार है ,उसमें है भरपूर लियाकत
मेरी बेटी ,मुझे खुदा की बड़ी इनायत
मदन मोहन बाहेती घोटू