Saturday, May 22, 2021

ऑक्सीजन
 हवा अहम की भरी हुई मगरूर बहुत था
  बहुत हवा में उड़ता मद में चूर बहुत था 
  खुद पर बहुत गर्व था नहीं किसी से डरता
   अहंकार से भरा हुआ था डींगे भरता 
   किंतु करोना ऐसा आया हवा बदल दी 
   मुझे हुआ एहसास बहुत थी मेरी गलती 
   बौना है इंसान नहीं कुछ भी कर सकता 
   पड़े नियति की मांग सिर्फ रह जाए बिलखता
   लेती श्वास हवा ,पर पीती ऑक्सीजन है 
   ऑक्सीजन के कारण ही चलता जीवन है
    मन का मेल निकाल, हटी जब नाइट्रोजन 
    निर्मल मन हो गया ,रह गई बस ऑक्सीजन

घोटू
बाय बाय कर रही जवानी 

समय सुहाना फिसल रहा है 
वक्त हाथ से निकल रहा है 
उजले बालों को काला कर 
खुद को बहलाओगे कब तक 
हमें पता कमजोर पड़ा तन 
लेकिन नहीं मानता है मन 
बाय बाय कर रही जवानी 
और बुढ़ापा देता दस्तक

शनेःशनेः  तन क्षरण हो रहा 
ना फुर्ती ना बचा जोश है
 यह सब तो नियम प्रकृति का ,
 नहीं किसी का कोई दोष है
  बचा नहीं दम इस काया में 
  फिर भी उलझे मोह माया में 
  पंचतत्व में मिल जाएंगे ,
  खाली हाथ जाएंगे हम सब 
  बाय-बाय कर रही जवानी 
  और बुढ़ापा देता दस्तक
  
  लेकिन फिर भी बार-बार हम
   देते मन को यही दिलासा 
   कोसों दूर बुढ़ापा मुझसे,
    अभी जवान हूं अच्छा खासा
     लेकिन यह एक सच है शाश्वत 
     धीरे-धीरे बिगड़ेगी गत
  धुंधली आंखें झुर्राया  तन,
  नहीं रहेगी वह पर रौनक 
  बाय-बाय कर रही जवानी 
  और बुढ़ापा देता दस्तक 

घोटू