बदलाव
थे रोज के जो मिलनेवाले ,मुश्किल से मिलते कभी कभी
करते दूरी से हाथ हिला कर 'हाय 'और फिर 'बाय 'तभी
जहाँ हरदम रहती हलचल थी ,रौनक ,मस्ती थी ,हल्ला था
चुपचाप और खामोश पड़ा ,जीवंत बहुत जो मुहल्ला था
यह कैसा आया परिवर्तन ,ना जाने किसकी नज़र लगी
हंस कर ,मिलजुल रहनेवालों ने ,बना दूरियां आज रखी
सब घर में घुस कर बैठे रहते ,सहमे सहमे और डरे डरे
मुंह पर है पट्टी बाँध रखी ,खुल कर बातें भी नहीं करे
ना जन्मदिवस सेलिब्रेशन ,ना किटी पार्टी ना उत्सव
लग गयी लगाम सभी पर है ,अब मिलना जुलना ना संभव
ना भीड़भाड़ ,सुनसान सड़क ना बाज़ारों में चहल पहल
कोरोना के एक वाइरस ने ,जीवन शैली को दिया बदल
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
थे रोज के जो मिलनेवाले ,मुश्किल से मिलते कभी कभी
करते दूरी से हाथ हिला कर 'हाय 'और फिर 'बाय 'तभी
जहाँ हरदम रहती हलचल थी ,रौनक ,मस्ती थी ,हल्ला था
चुपचाप और खामोश पड़ा ,जीवंत बहुत जो मुहल्ला था
यह कैसा आया परिवर्तन ,ना जाने किसकी नज़र लगी
हंस कर ,मिलजुल रहनेवालों ने ,बना दूरियां आज रखी
सब घर में घुस कर बैठे रहते ,सहमे सहमे और डरे डरे
मुंह पर है पट्टी बाँध रखी ,खुल कर बातें भी नहीं करे
ना जन्मदिवस सेलिब्रेशन ,ना किटी पार्टी ना उत्सव
लग गयी लगाम सभी पर है ,अब मिलना जुलना ना संभव
ना भीड़भाड़ ,सुनसान सड़क ना बाज़ारों में चहल पहल
कोरोना के एक वाइरस ने ,जीवन शैली को दिया बदल
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '