वो बात अब न रही
जी तो करता है मेरा ,ये भी करू,वो भी करू,
मगर मैं क्या करूं ,ये उम्र साथ अब न रही
न तो हम में ही रहा जोश वो जवानी का,
तुम्हारे जलवों में वैसी बात अब न रही
फ़ाख़्ता मारते थे जब मियां ,वो दिन न रहे,
सितारे तोड़ के लाने की उमर बीत गयी,
अब तो अखरोट भी हम तोड़ नहीं पाते है,
रंगीले दिन और सुहानी वो रात अब न रही
ज़माना वो भी था जब हम पतंग उड़ाते थे,
माशुका हाथ में चरखी ले ढील देती थी,
हम खुद ही हो गए है इस कदर ढीले ,
वक़्त की डोर भी तो अपने हाथ अब न रही
बहुत ही चौके और छक्के जड़े जवानी में ,
समय के आगे मगर हुए 'कैच आउट'हम
अब तो हम 'पेवेलियन'छोड़ कर जाने वाले ,
हमारे बल्ले में वो करामात अब न रही
कभी डंका हमारे नाम का भी बजता था,
हमारी आरती भी लोग उतारा करते ,
ज़माना करता नमस्कार चमत्कारों को ,
हमारे जादू में भी वैसी बात अब न रही
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जी तो करता है मेरा ,ये भी करू,वो भी करू,
मगर मैं क्या करूं ,ये उम्र साथ अब न रही
न तो हम में ही रहा जोश वो जवानी का,
तुम्हारे जलवों में वैसी बात अब न रही
फ़ाख़्ता मारते थे जब मियां ,वो दिन न रहे,
सितारे तोड़ के लाने की उमर बीत गयी,
अब तो अखरोट भी हम तोड़ नहीं पाते है,
रंगीले दिन और सुहानी वो रात अब न रही
ज़माना वो भी था जब हम पतंग उड़ाते थे,
माशुका हाथ में चरखी ले ढील देती थी,
हम खुद ही हो गए है इस कदर ढीले ,
वक़्त की डोर भी तो अपने हाथ अब न रही
बहुत ही चौके और छक्के जड़े जवानी में ,
समय के आगे मगर हुए 'कैच आउट'हम
अब तो हम 'पेवेलियन'छोड़ कर जाने वाले ,
हमारे बल्ले में वो करामात अब न रही
कभी डंका हमारे नाम का भी बजता था,
हमारी आरती भी लोग उतारा करते ,
ज़माना करता नमस्कार चमत्कारों को ,
हमारे जादू में भी वैसी बात अब न रही
मदन मोहन बाहेती'घोटू'