हम बूढ़े है
हम बूढ़े है,उमर हो गयी ,
लेकिन नहीं किसी से कम है
स्वाभिमान के साथ जियेंगे ,
नहीं झुकेंगे,जब तक दम है
साथ उमर के ,शिथिल हुआ तन,
किन्तु हमारा मन है चंगा
जो भी चाहे,लगाले डुबकी ,
भरी प्यार की,हम है गंगा
सबको पुण्य प्रदान करेंगे,
जब तक जल है,बहते हम है
स्वाभिमान से जिएंगे हम ,
नहीं झुकेंगे,जब तक दम है
चाह रहे तुमसे अपनापन ,
शायद हमसे हुई भूल है
पान झड़ गए सब पतझड़ में,
हम फुनगी पर खिले फूल है
हमने आते जाते देखे,
कितने ही ऐसे मौसम है
स्वाभिमान से जिएंगे हम,
नहीं झुकेंगे ,जब तक दम है
अनुभव की चांदी बिखरी है ,
काले केश हो रहे उज्जवल
सूरज जब ढलने लगता है,
किरणे होजाती है शीतल
जहाँ प्यार की धूप पसरती ,
हम वो खुला हुआ आँगन है
स्वाभिमान से जिएंगे हम,
नहीं झुकेंगे,जब तक दम है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
हम बूढ़े है,उमर हो गयी ,
लेकिन नहीं किसी से कम है
स्वाभिमान के साथ जियेंगे ,
नहीं झुकेंगे,जब तक दम है
साथ उमर के ,शिथिल हुआ तन,
किन्तु हमारा मन है चंगा
जो भी चाहे,लगाले डुबकी ,
भरी प्यार की,हम है गंगा
सबको पुण्य प्रदान करेंगे,
जब तक जल है,बहते हम है
स्वाभिमान से जिएंगे हम ,
नहीं झुकेंगे,जब तक दम है
चाह रहे तुमसे अपनापन ,
शायद हमसे हुई भूल है
पान झड़ गए सब पतझड़ में,
हम फुनगी पर खिले फूल है
हमने आते जाते देखे,
कितने ही ऐसे मौसम है
स्वाभिमान से जिएंगे हम,
नहीं झुकेंगे ,जब तक दम है
अनुभव की चांदी बिखरी है ,
काले केश हो रहे उज्जवल
सूरज जब ढलने लगता है,
किरणे होजाती है शीतल
जहाँ प्यार की धूप पसरती ,
हम वो खुला हुआ आँगन है
स्वाभिमान से जिएंगे हम,
नहीं झुकेंगे,जब तक दम है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'