Saturday, July 8, 2023

जब से तुझ से नजर लड़ गई

जब से तुझ से नजर लड़ गई 
सीधे दिल में आई, गढ़ गई 
तू मुस्काई ,मैं मुस्काया ,
धीरे-धीरे बात बढ़ गई 

प्यार हमारा चुपके-चुपके,
पनपा और हो गया विकसित 
एक दूसरे से जब मिलते,
हम दोनों होते रोमांचित 
मनभावन था मिलन हमारा,
और प्रीत परवान चढ़ गई 
जब से तुझ से नजर लड़ गई 
  
हुई लड़ाई जब नयनों में ,
दोस्त बन गए अपने दो दिल
लगी महकने जीवन बगिया,
गई प्यार की कलियां है खिल 
तुझसे मिलने की अकुलाहट ,
बेचैनी दिन-रात बढ़ गई 
जब से तुझ से नजर लड़ गई

घोटू 
मुनासिब नहीं है 

अदाएं दिखाकर बनाना दीवाना 
तरसा के हमको यूं ही बस सताना 
हर एक बात पर फिर बहाना बनाना 
किसी भी तरह से यह वाजिब नहीं है

 कभी रूठ जाना, कभी फिर मनाना 
 अपने इशारों पर हमको नचाना 
 होकर खफा तीखे तेवर दिखाना 
 दिल तोड़ देना ,मुनासिब नहीं है 
 

चोरी छुपे फिर मिलना मिलाना 
कहना हमेशा ,हमे ना ना ना ना 
तड़पता हमें देख कर मुस्कुराना 
उल्फत उसूलों मुताबिक़ नहीं है

कभी प्यार से हमसे नजरें मिलाना
कभी फिर खफा हो के नजरें चुराना 
छोटी सी बातें ,फसाना बनाना 
तुम्हारे तरीके ये वाजिब नहीं है

घोटू