Tuesday, May 27, 2014

तूफ़ान के बाद

       तूफ़ान के बाद

जब कभी तूफ़ान आता है तो अक्सर ,
       होता मौसम दूसरे दिन खुशनुमा है
आग की जब भी तपिश में तपा करता ,
        रूप कुंदन का निखरता  दस गुना है
जिंदगी का फलसफा इतना है केवल
आज गम है तो खुशी फिर आएगी कल
आदमी फिर भी न जाने क्यों हमेशा
चिंताओं में डूब कर  , रहता  परेशां   
रात है तो कल सुबह भी आएगी ही
दुखी है जो जिंदगी ,मुस्काएगी ही
निराशा के, घिरे सब बादल छटेंगे
राह की बाधा ,सभी कांटे हटेंगे
लगन से जो चलोगे ,होगी न मुश्किल
मिलेगी निश्चित ,तुम्हारी तुम्हे मंजिल
हक़ीक़त बन सामने आ जाएगा  वो,
          कोई भी सपना अगर तुमने बुना है
जब कभी तूफ़ान आता है तो अक्सर ,
         होता मौसम ,दुसरे दिन खुशनुमा है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कुर्सी

           कुर्सी

कुर्सियों पर आदमी चढ़ता नहीं है ,
                 कुर्सियां चढ़ बोलती दिमाग पर
भाई बहन,ताऊ चाचा ,मित्र सारे,
                 रिश्ते नाते ,सभी रखता  ताक पर 
गर्व से करता तिरस्कृत वो सभी को ,
                  बैठने देता न मख्खी   नाक पर
भूत कुर्सी का चढ़ा है जब उतरता ,
                  आ जाता है अपनी वोऔकात पर    

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मोदी आया

              मोदी आया

आ गया मोदी नरेंदर, बात ये सुन ,
                   लगा गिरने नीचे है  डॉलर बिचारा
सब के सब शेयर उछलने लग गए है,
                    ख़ुशी से बदला हुआ  ,माहौल सारा
भाईचारे की हवा  ऐसी चली है ,
                      पड़ोसी भी आ गले  मिलने लगे है
कालिमा है छटी ,सूर्योदय हुआ है,
                       फूल सारे कमल के खिलने लगे है
देख कर  आगाज़ ये लगने लगा है ,
                       होने वाला अच्छा  है अंजाम भी अब
अच्छे दिन आयेंगे ,निश्चित ही सभी के,   
                        देश मेरा  करेगा  उत्थान भी अब

मदन मोहन बाहेती'घोटू'