Monday, May 8, 2023

छुट्टी ही छुट्टी 

बुढ़ापा ऐसा आया है ,
हो गई प्यार की छुट्टी 
रोज हीअब तो लगती है,
हमें इतवार की छुट्टी 

झगड़ते ना मियां बीवी,
बड़े ही प्यार से रहते ,
हुई इसरार की छुट्टी 
हुई इंकार की छुट्टी 

जरा सी मेहनत करते,
फूलने सांस लगती है ,
खतम अब हो गया दमखम,
 हुई अभिसार की छुट्टी 
 
जरा कमजोर है आंखे,
और धुंधला सा दिखता है ,
इसी कारण पड़ोसन के 
हुई दीदार की छुट्टी 

लगी पाबंदी मीठे पर 
और खट्टा भी वर्जित है 
जलेबी खा नहीं सकते 
हुई अचार की छुट्टी 

गए ऐसे बदल मौसम 
रिटायर हो गए हैं हम 
न दफ्तर रोज का जाना,
है कारोबार की छुट्टी 

बचा जितना भी है जीवन 
करें हम राम का स्मरण 
पता ना कब ,कहां ,किस दिन ,
मिले संसार की छुट्टी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
यह मत सोचो कल क्या होगा 

यह मत सोचो कल क्या होगा 
जो भी होगा अच्छा होगा 

सोच सकारात्मक जो होगी 
तो बारिश होगी खुशियों की 
जो तुम खुद का ख्याल रखोगे 
गलत सलत यदि ना सोचोगे 
तब ही तो वह ऊपर वाला 
रख पाएगा ख्याल तुम्हारा 
और तन सेहतमंद रहेगा 
मन में भी आनंद रहेगा 
हंसी खुशी से रहो हमेशा 
जीवन जियो पहले जैसा 
सोचो हर दिन ,मैं हूं बेहतर 
प्यार लुटाओ सबपर,मिलकर 
प्यार पाओगे आत्म जनों का 
जो भी होगा ,अच्छा होगा 
यह मत सोचो ,कल क्या होगा

घोटू