Saturday, September 3, 2016

अवमूल्यन

अपने जमाने में ,
मात्र पांच सौ रूपये महीने की पगार से ,
अपने पूरे परिवार को पालनेवाला पिता ,
 अपने बेटे के साथ
पांच सितारा होटल में डिनर के बाद
जब वेटर को पांच सौ रूपये की ,
टिप देते हुए देखता है 
तो शंशोपज में पड़  जाता है कि ,
अपने बेटे की सम्पन्नता पर अभिमान करे
या अपने अवमूल्यन का करे अहसास

घोटू
अंतिम पीढ़ी

प्रियजन ,
हम हैं ,मानव प्रजाति के ,
वो लुप्तप्रायः होते हुए संस्करण
जिन्होंने बचपन में झेला है ,
अपनी पिछली पीढ़ी का कठोर,
अनुशासन और बन्धन
और अब झेल रहे है ,अगली पीढ़ी के ,
व्यंगबाण और प्रताड़न
हमारी पीढ़ी के ,
बस ,अब भग्नावशेष ही पड़े है
और हम अब,
विलुप्त होने की कगार पर खड़े है

घोटू
    स्वागत है आहान तुम्हारा

तुम्हारी प्यारी किलकारी ,गुंजा रही घर
तुमने आ आहान ,हृदय,आल्हाद दिया भर
देख तुम्हारी क्रीड़ाएं ,खुश है घर सारा
परिवार में ,स्वागत है ,आहान ,तुम्हारा
इस बाहेती परिवार की नवआकृति तुम
अक्षय और तृप्ती की ,उत्कृष्ट कृति  तुम
तुम्हारी चंचल क्रीड़ाएं ,मोह रही मन
मूल तुम्हारा भारत में ,पर हो अमरीकन
तुमने आकर ,घर भर में खुशियां फैलादी
बना दिया ,प्यारी रेणु अम्मा को दादी
हम सब खुश है,मन में खुशियां इतनी ज्यादा
पुलकित रहते ,तुम्हारे ,आध्यात्मिक दादा
सुना आजकल ,क्लिनिक से जल्दी घर आते
खुश है इतने ,दो रोटी है ज्यादा खाते
देख सुखद परिणाम ,ब्याह का,प्रेरित होकर
शायद तुम्हारे चाचू भी ,ले शादी कर
तुम दिल्ली में आये ,तुमने रौनक ला दी
भुवा दादियों को सोने की चेन दिलादी
देते आशिर्वाद सभी हम ,अंतरतर से
जग के सब सुख तुम्हारी झोली में बरसे
बढे बनो,सबके जीवन में खुशियां भर दो
 परिवार  का नाम और भी रोशन करदो
रहो खेलते ,खुशियों से ,यूं ही जीवन भर
तुमने आ आहान ,ह्रदय आल्हाद दिया भर

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'