घर की रोटी
आप भले माने ना माने ,पर ये सच्ची ,खरी बात है
कितना इधरउधर मुंह मारो ,घर की रोटी लगे स्वाद है
यूं तो इस सारी दुनिया में ,पकवानो की कमी नहीं है
कई दावतें हमने खाई ,लेकिन उतनी जमी नहीं है
बाकी सब तो ललचाते है ,पर जो रोज रोज मुंह लगती
घर की रोटी ही सच पूछो ,तो है पेट हमारा भरती
खालो तुम पकवान सैंकड़ो ,पर मिलता आल्हाद नहीं है
दुनिया में घर की रोटी से ,बढ़ कर कोई स्वाद नहीं है
नरम नरम हाथों से बीबी ,देती गरम गरम जब फुलके
बिना कोई संकोच ,सलीके ,हम खाया करते है खुल के
घर के भोजन में मिलता है ,स्वाद प्यार का ,अपनेपन का
तन मन को तृप्ति देता है ,क्या कहना घर के भोजन का
सुख मिलता जब मियां बीबी ,मिल कर खाते साथ साथ है
कितना इधर उधर मुंह मारो ,घर की रोटी लगे स्वाद है
इसी तरह गोरी या काली ,दुबली पतली हो या हथिनी
इस दुनिया में प्यारी लगती सबको अपनी अपनी पत्नी
क्योंकि एक वो ही जो तुमको ,प्यार करे है सच्चे दिल से
इतना अधिक चाहने वाला ,नहीं मिल सकेगा मुश्किल से
जो निर्जल रह कर व्रत करती ,करवा चौथ ,तुम्हारे खातिर
ताकि सुहागन बनी रहे वो ,लम्बी उम्र तुम्हे हो हासिल
तुम्हारे सुख दुःख में शामिल ,साथ निभाती जो जीवन भर
जो तुम्हारी पूजा करती ,तुम्हे मान कर पति परमेश्वर
ऐसा सच्चा जीवन साथी ,पा सबको होता गरूर है
मिले ना मिले जन्नत में पर, इस जीवन में वही हूर है
सुन्दर लोग कई दिखते है ,पर पत्नी की अलग बात है
प्यारी लगती घरवाली ज्यों ,घर की रोटी लगे स्वाद है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
आप भले माने ना माने ,पर ये सच्ची ,खरी बात है
कितना इधरउधर मुंह मारो ,घर की रोटी लगे स्वाद है
यूं तो इस सारी दुनिया में ,पकवानो की कमी नहीं है
कई दावतें हमने खाई ,लेकिन उतनी जमी नहीं है
बाकी सब तो ललचाते है ,पर जो रोज रोज मुंह लगती
घर की रोटी ही सच पूछो ,तो है पेट हमारा भरती
खालो तुम पकवान सैंकड़ो ,पर मिलता आल्हाद नहीं है
दुनिया में घर की रोटी से ,बढ़ कर कोई स्वाद नहीं है
नरम नरम हाथों से बीबी ,देती गरम गरम जब फुलके
बिना कोई संकोच ,सलीके ,हम खाया करते है खुल के
घर के भोजन में मिलता है ,स्वाद प्यार का ,अपनेपन का
तन मन को तृप्ति देता है ,क्या कहना घर के भोजन का
सुख मिलता जब मियां बीबी ,मिल कर खाते साथ साथ है
कितना इधर उधर मुंह मारो ,घर की रोटी लगे स्वाद है
इसी तरह गोरी या काली ,दुबली पतली हो या हथिनी
इस दुनिया में प्यारी लगती सबको अपनी अपनी पत्नी
क्योंकि एक वो ही जो तुमको ,प्यार करे है सच्चे दिल से
इतना अधिक चाहने वाला ,नहीं मिल सकेगा मुश्किल से
जो निर्जल रह कर व्रत करती ,करवा चौथ ,तुम्हारे खातिर
ताकि सुहागन बनी रहे वो ,लम्बी उम्र तुम्हे हो हासिल
तुम्हारे सुख दुःख में शामिल ,साथ निभाती जो जीवन भर
जो तुम्हारी पूजा करती ,तुम्हे मान कर पति परमेश्वर
ऐसा सच्चा जीवन साथी ,पा सबको होता गरूर है
मिले ना मिले जन्नत में पर, इस जीवन में वही हूर है
सुन्दर लोग कई दिखते है ,पर पत्नी की अलग बात है
प्यारी लगती घरवाली ज्यों ,घर की रोटी लगे स्वाद है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '