Wednesday, October 16, 2013

मेरा पता -फ्लैट नंबर 7 0 1

    मेरा पता -फ्लैट नंबर 7 0 1

सप्त ऋषि है ,सप्त सागर ,सात ही  महाद्वीप है ,
                           और एक सप्ताह में बस सात होते वार है
सात है हम वचन देते,सात फेरे काटते ,
                           तभी जा सम्पूर्ण होता,विवाह का संस्कार है
सात जन्मो का है बंधन ,बंधता पत्नी पति में,
                           एक दूजे प्रति समर्पण ,होता सच्चा प्यार है
सात स्वर संगीत के है ,सात ही बस लोक है ,
                             सातवीं मंजिल पे बसता ,'घोटू'का परिवार है

घोटू 

मोटापे का इलाज

    मोटापे का इलाज

मोटापे से परेशान ,
एक पत्नी ने लगाई गुहार
माय डीयर पतिदेव ,
अगर करते हो मुझसे सच्चा प्यार
तो करो कुछ एसा जतन
कि कम हो जाय मेरा वजन
पति जी बोले डीयर ,
तुम हो इतनी प्यारी और सुन्दर
पर मुश्किल ये है हमारी
तुम पड़ती हो मुझ पर भारी
तुमसे कितना प्यार है ,क्या बतलाऊं
जी करता है तुम्हे चाँद पर ले जाऊं
वहां पर तुम्हारा वजन ,छह गुना घट जाएगा
मून पर हमतुम ,हनीमून मनाएंगे ,
कितना मज़ा आयेगा
'मून पर हनीमून मनाने कि बात सुन ,
पत्नी जी खुश हुई ,पर फिर बोली पलट कर
पर डीयर ,तुम्हारा भी बजन तो ,
कम हो जाएगा ,चाँद  पर जाकर
पतीजी बोले ,कोई परवाह नहीं ,
मै तुमसे इतना प्यार करता हूँ ,जाने मन
तुम्हारी इच्छा पूरी करने के लिए ,
क्या कुर्बान नहीं कर सकता ,अपना बजन  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

बकरीद

              घोटू के छंद
                  बकरीद

सुबह सुबह पत्नी ने ,प्यार से जगाया हमें ,
                        गालों पे दी पप्पी और मुस्कान प्यारी थी
बेड टी के बाद हमें ,मिले सुबह नाश्ते में,
                         जलेबी थी गरम गरम ,चीजें ढेर सारी थी
खाने में खीर मिली ,खुश थी वो खिली खिली ,
                          बोली शाम बाहर चलें ,सेल लगी भारी थी
हमारी  समझ आया ,इतना खिलापिलाया,
                          बकरा हलाल करने की पूरी तैयारी  थी

घोटू        

गुरु घंटाल

          गुरु घंटाल

स्वयं को घोषित किया ,भगवान जिस इंसान ने ,
                 समर्पण के नाम पर ,व्यभिचार जो करता रहा
मोह माया छोड़ दो का ,बांटता जो ज्ञान था ,
                  लोभ का मारा ,तिजोरी ,स्वयं की भरता रहा
नन्ही नन्ही बच्चियों की ,लूटता था अस्मतें ,
                    भोले भाले भक्तजन को ,लूटने में दक्ष था
हिरणकश्यप की तरह ,कहता था वो भगवान है ,
                      पुत्र पर प्रहलाद जैसा नहीं,पर हिरण्याक्ष था
बाप और बेटे ने मिल कर ,बहुत से नाटक किये ,
                      कृष्ण बन कर ,गोपियों के संग रचाया रास था
एक पीड़ित बालिका ने ,रूप धर नरसिंह जैसा ,
                       बताया दुनिया को कितना दुष्ट वो बदमाश था
धीरे धीरे ,उसके सारे  कच्चे चिठ्ठे , खुल गए ,
                          शेर की था खाल ओढ़े ,वो छुपा था  भेड़िया
एक दिन फंस ही गया ,कानून के वो जाल में,
                            सैकड़ों ही बच्चियों का ,जिसने था शोषण किया
बनाया था  गुरु, निकला वो गुरु घंटाल था  ,
                              धीरे धीरे सभी लोगों को गया ये लग पता
इससे मेरे दोस्तों,मिलती हमें या सीख है,
                                 धर्म अच्छा है मगर अच्छी नहीं धर्मान्धता

घोटू