विडंबना
कार ली,मंदिर गए,स्वस्तिक लगा,की आरती,
नज़र ना कोई लगे,पंडितजी पूजा कर गए
नीबुओं पर नज़र ऐसी लगी नूतन कार की,
दब के नीचे,टायरों के,चार नीबू मर गए
घोटू
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