Friday, August 2, 2019

ओरेंज काउंटी-मेरा नया घर
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नारंगी अट्टालिकाओं को छूकर,
उगता हुआ नारंगी सूरज
विशाल तरणताल में,
जल क्रीडा करते हुए स्त्री पुरुष
गेंद को बास्केट में डाल कर,
अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का,
अभ्यास करते हुए युवक
राजनेतिक पार्टियों की तरह,
गेंद को एक दूसरे के पाले में डाल कर,
टेनिस खेलते हुए निवासी
फंवारों में उछल उछल कर,
नाचते हुए प्रमुदित बच्चे
अपने नन्हे मुन्नों को,
बल उपवन में खेलाती मातायें
धार्मिक वातावरण की खुशबू से,
महकता हुआ मंदिर
झर झर झरते हुए झरने 
 हरा भरा सुरम्य वातावरण
 प्रभु ने आसमान से जब इस ,
अद्भुत आवासीय क्षेत्र को देखा तो,
प्रसन्न होकर,प्रसाद स्वरुप,
अपना एक प्रासाद ,ऊपर से गिरा दिया
जो यहाँ के निवासियों का,
मनोरंजन स्थल (क्लब) बन गया
मै,अपने विशाल बंगले की तनहाइयों को छोड़,
इस हंसती खेलती बस्ती में बस कर,
बहुत खुश हूँ
क्योंकि 'ओरेंज काउंटी'
एक सम्पूर्ण आवासीय परिसर है,
जहाँ खुशियाँ बसती है,
और जिंदगी हंसती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
   
अठहत्तरवें  जन्मदिवस पर
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मन मदन,मस्तिष्क मोहन,मद नहीं और मोह भी ना
और मै बहती हवा सा,सुगन्धित हूँ,मधुर, भीना
कभी गर्मी की तपिश थी,कभी सर्दी थी भयंकर
कभी बारिश की फुहारों का लिया आनंद जी भर
कभी अमृत तो गरल भी,मिला जो पीता गया मै
विधि ने जो भी लिखा उस विधि जीता रहा मै
कभी सुख थे ,कभी दुःख थे,कभी रोता,कभी हँसता
कई जीवन रंग देखे, हुआ अठहत्तर  बरस का

मदन मोहन बहेती 'घोटू '