अहम ब्रह्म
करो व्यवस्थित अपना जीवन
रखो सुरक्षित अपना तन मन
रहो सभी के तुम अपने बन
तभी पाओगे तुम अपनापन
जियो जीवन सीधा-सादा
तभी मिलेगी खुशियां ज्यादा
स्वच्छ संतुलित खाना पीना
तब ही स्वस्थ जिंदगी जीना
मुंह में राम बगल छुरी है
ऐसी आदत बड़ी बुरी है
अपनी कमियां सभी सुधारो
छुपे हुए रावण को मारो
अगर न निर्मल, मन जमुना जल
छुपा कालिया नाग कहीं पर
उसका मर्दन करो कृष्ण बन
तभी सफल होगा यह जीवन
मोह माया का हिरण्यकश्यप
तम्हें सताता रहता जब तब
सहन मत करो, मारो उसको
बन नरसिंह, संहारो उसको
रूप विराट नहीं दिखलाओ
तुम वामन स्वरूप बन जाओ
भू, पाताल और नभ सर्वस
तीन पगों में नापोगे बस
जीवन के समुद्र मंथन में
रखो आस रत्नों की मन में
किंतु हलाहल भी मिलता है
शंकर बन पीना पड़ता है
होते तुम निराश यूं क्यूं हो
प्रभु तुममें ,तुम स्वयं प्रभु हो
चलते जाओ, नहीं थको तुम
जीतोगे, विश्वास रखो तुम
मन में हो जो अटल इरादा
राह न रोक सकेगी बाधा
रखो हौसला, लक्ष्य पाओगे
तुम मंजिल पर पहुंच जाओगे
मदन मोहन बाहेती घोटू