कवितायेँ-किसम किसम की
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बिना किसी लाग लपेट,
बेईमानी,भ्रष्टाचार,
दुर्दशा दर्शाती,
नंगी सी कविता
दो चार पंक्तियाँ
क्षणिकाएं या दोहे,
छिपी हुई पर सार्थक,
चड्डी सी कविता
दिल के बहुत करीब,
भावनाओं के उभार,
दर्शाती है निखार,
चोली सी कविता
ऊपर से दिखे एक,
पर नीचे मतलब दो,
द्विअर्थी या श्लेष,
पायजामा कविता
द्रोपदी के चीर सी,
जितना भी पढ़ते जाओ,
उतनी ही बढती जाये,
साडी सी कविता
अलंकर आभूषित,
मन को लुभानेवाली,
शब्दों से सजी धजी,
श्रंगार सी कविता
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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बिना किसी लाग लपेट,
बेईमानी,भ्रष्टाचार,
दुर्दशा दर्शाती,
नंगी सी कविता
दो चार पंक्तियाँ
क्षणिकाएं या दोहे,
छिपी हुई पर सार्थक,
चड्डी सी कविता
दिल के बहुत करीब,
भावनाओं के उभार,
दर्शाती है निखार,
चोली सी कविता
ऊपर से दिखे एक,
पर नीचे मतलब दो,
द्विअर्थी या श्लेष,
पायजामा कविता
द्रोपदी के चीर सी,
जितना भी पढ़ते जाओ,
उतनी ही बढती जाये,
साडी सी कविता
अलंकर आभूषित,
मन को लुभानेवाली,
शब्दों से सजी धजी,
श्रंगार सी कविता
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'