Saturday, March 19, 2011

खेलो होली

घरवालों संग खेलो होली ,घरवाली संग खेलो होली
साला तो शैतान बहुत है ,तुम साली संग खेलो होली
जिनको सदा देखते हो तुम ,हसरत भरी हुई नज़रों से
जवां पड़ोसन ,प्यारी समधन,दिलवाली संग खेलो होली
यूँ तो सलहज सहज नहीं है,बस होली का ही मौका है,
कस कर पकड़ो रंग लगा,मतवाली के संग खेलो होली
लेकर रंग भरी पिचकारी,तन को इतना गीला करदो,
चिपके वस्त्र दिखे सब कुछ उस छवि प्यारी संग खेलो होली

अबकी होली

अबकी होली में हो जाये,कुछ एसा अदभुत चमत्कार
 हो जाये भ्रष्टाचार स्वाहा, महगाई,झगड़े, लूटमार
सब लाज शर्म को छोड़ छाड़,हम करें प्रेम से छेड़ छाड़
गौरी के गोरे गालों पर ,अपने हाथों से मल गुलाल
जा लगे रंग,महके अनंग,हर अंग अंग हो सरोबार
इस मस्ती में,हर बस्ती में,बस जाये केवल प्यार प्यार
दुर्भाव हटे,कटुता सिमटे,हो भातृभाव का बस प्रचार
अबकी होली में हो जाये,कुछ एसा अदभुत चमत्कार

आओ होली मनाएं

आओ होली मनाएं
पहले दिन
पुरानी वेमन स्तायें
दुर्भावनाएं ,कटुता,और
बैरभाव की होली जलाएं
और दुसरे दिन
सदभावनाओं की गुलाल
भाईचारे का अबीर
और प्रेम के रंगों से
मिलजुल कर होली मनाएं