देर लगा करती है
इस जीवन में काम बहुत से ,
धीरज धर कर ही होते हैं ,
किंतु लालसा जल्दी पाने की,
तो दिन रात लगा करती है
बेटा बेटी भाई बहन तो ,
पैदा होते ही बन जाते हम,
पर दादा या नाना बनने
में तो देर लगा करती है
काम बहुत से बिन मेहनत के
हो जाते हैं जल्दी जल्दी
भले आप कुछ करो ना करो,
तन का हो जाता विकास है
लेकिन ज्ञान तभी मिलता है,
जब मिल जाता कोई गुरु है
जो करता है मार्ग प्रदर्शित
जीवन में आता प्रकाश है
इस शरीर में सात चक्र हैं
उन्हें जागृत करना पड़ता,
बिना तपस्या योग साधना ,
कुंडलिनी नहीं जगा करती है
इस जीवन में काम बहुत से
धीरज धड़कन ही होते हैं
किंतु लालसा जल्दी पाने,
की दिनरात लगी रहती है
पहले दांत दूध के गिरते,
है फिर नए दांत आते हैं ,
अकल दाढ़ के आने में पर,
फिर भी लग जाते हैं बरसों
हरेक फसल उगने ,पकने का,
अपना अपना टाइम होता ,
यूं ही हथेली पर पल भर में ,
नहीं उगा करती है सरसों
इस मरुथल में हम सब के सब
माया पीछे भाग रहे हैं
ललचाती मृगतृष्णा हमको,
ये दिनरात ठगा करती है
इस जीवन में काम बहुत से
धीरज धर कर ही होते हैं
किंतु लालसा जल्दी पाने
की दिन रात लगी रहती है
मदन मोहन बाहेती घोटू