मजबूरी
कभी कभी मन चिंतित पर मुस्काना पड़ता है
सूनेपन में डर लगता ,तो गाना पड़ता है
कर मनुहार खिलाये जब वो अपने हाथों से ,
भूख नहीं होती है फिर भी खाना पड़ता है
भले पड़ोसन ,बहुत सुंदरी ,तुम्हे सुहाती है ,
घरवाली से लेकिन काम चलाना पड़ता है
कितनी चीजें होती जो हमको ललचाती है ,
खाली जेब,मगर मन की समझाना पड़ता है
यूं तो हम झगड़ा करते है ,रौब दिखाते है ,
दुश्मन भारी हो, पीछे हट जाना पड़ता है
घटघट में भगवान बसे है फिर भी भक्तों को
प्रभु के दर्शन करने मंदिर जाना पड़ता है
रोज रोज झगड़ा होता है ,पति से ना पटती ,
पर व्रत करके ,करवा चौथ मनाना पड़ता है
नई कार साइलेंट देख कर ,कहा फटफटी ने ,
क्या रईस को मुंह ताला लगवाना पड़ता है
'घोटू 'देख हुस्न को मन में कुछ कुछ होता है ,
लेकिन मन मसोस कर ही रह जाना पड़ता है ,
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
कभी कभी मन चिंतित पर मुस्काना पड़ता है
सूनेपन में डर लगता ,तो गाना पड़ता है
कर मनुहार खिलाये जब वो अपने हाथों से ,
भूख नहीं होती है फिर भी खाना पड़ता है
भले पड़ोसन ,बहुत सुंदरी ,तुम्हे सुहाती है ,
घरवाली से लेकिन काम चलाना पड़ता है
कितनी चीजें होती जो हमको ललचाती है ,
खाली जेब,मगर मन की समझाना पड़ता है
यूं तो हम झगड़ा करते है ,रौब दिखाते है ,
दुश्मन भारी हो, पीछे हट जाना पड़ता है
घटघट में भगवान बसे है फिर भी भक्तों को
प्रभु के दर्शन करने मंदिर जाना पड़ता है
रोज रोज झगड़ा होता है ,पति से ना पटती ,
पर व्रत करके ,करवा चौथ मनाना पड़ता है
नई कार साइलेंट देख कर ,कहा फटफटी ने ,
क्या रईस को मुंह ताला लगवाना पड़ता है
'घोटू 'देख हुस्न को मन में कुछ कुछ होता है ,
लेकिन मन मसोस कर ही रह जाना पड़ता है ,
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '