औरतें
१
औरतें,
हवा सी होती है ,
कभी चिलचिलाती सर्द
कभी लू की तरह गर्म
कभी बसंती बयार बन कर
प्यार से सहलाती है
कभी नाराज होती है
तो तूफ़ान बन कर ,
तहस नहस मचाती है
२
औरतें,
बदली सी होती है
पुरुष की समंदर सी
शक्शियत को ,
अपने प्यार की गर्मी से ,
आसमान में उडा कर,
अपने में ,
समाहित लेती है कर
फिर मन मर्जी के मुताबिक़ ,
डोलती है इधर,उधर
कभी बिजली सी कड़कती है,
कभी गरजाती है
कभी मंद मंद फुहार सी बरस ,
मन को हर्षाती है
३
औरतें ,
चन्दन सी होती है
खुद घिस घिस जाती है
और आदमी के मस्तक पर चढ़ ,
शीतलता देती है,
जीवन महकाती है
४
औरतें,
मेंहदी सी होती है,
हरी भरी ,लहलहाती
जब आदमी के जीवन में आती,
तो कुट कर,पिस कर,
अपना व्यक्तित्व खोकर ,
हमारे हाथों को रचाती है
जीवन में रंगीनियाँ लाती है
५
औरतें,
नदिया सी होती है ,
लहराती,बल खाती
अक्सर,पीहर और ससुराल के,
दो किनारों के बीच ,
अपनी सीमा में रह कर बहती है
और कल,कल करती हुई,
अपने प्यार के वादों को,
कल पर टालती रहती है
६
औरतें,
प्रेशर कुकर की तरह होती है ,
जिसमे बंद होकर जब आदमी,
गृहस्थी के चूल्हे पर चढ़ जाता है
तो उसके दबाब से ,
सख्त से सख्त आदमी का मिजाज़ भी ,
चावल दाल की तरह ,
नरम पड़ जाता है
७
औरतें,
बिजली सी होती है
घर को चमकाती है
घर की साफसफाई भी करती है,
और खाना भी पकाती है
मौसम और मूड के अनुसार ,
घर को ठंडा या गर्म भी कर देती है
और गलती से छू लो ,
तो झटका भी देती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
१
औरतें,
हवा सी होती है ,
कभी चिलचिलाती सर्द
कभी लू की तरह गर्म
कभी बसंती बयार बन कर
प्यार से सहलाती है
कभी नाराज होती है
तो तूफ़ान बन कर ,
तहस नहस मचाती है
२
औरतें,
बदली सी होती है
पुरुष की समंदर सी
शक्शियत को ,
अपने प्यार की गर्मी से ,
आसमान में उडा कर,
अपने में ,
समाहित लेती है कर
फिर मन मर्जी के मुताबिक़ ,
डोलती है इधर,उधर
कभी बिजली सी कड़कती है,
कभी गरजाती है
कभी मंद मंद फुहार सी बरस ,
मन को हर्षाती है
३
औरतें ,
चन्दन सी होती है
खुद घिस घिस जाती है
और आदमी के मस्तक पर चढ़ ,
शीतलता देती है,
जीवन महकाती है
४
औरतें,
मेंहदी सी होती है,
हरी भरी ,लहलहाती
जब आदमी के जीवन में आती,
तो कुट कर,पिस कर,
अपना व्यक्तित्व खोकर ,
हमारे हाथों को रचाती है
जीवन में रंगीनियाँ लाती है
५
औरतें,
नदिया सी होती है ,
लहराती,बल खाती
अक्सर,पीहर और ससुराल के,
दो किनारों के बीच ,
अपनी सीमा में रह कर बहती है
और कल,कल करती हुई,
अपने प्यार के वादों को,
कल पर टालती रहती है
६
औरतें,
प्रेशर कुकर की तरह होती है ,
जिसमे बंद होकर जब आदमी,
गृहस्थी के चूल्हे पर चढ़ जाता है
तो उसके दबाब से ,
सख्त से सख्त आदमी का मिजाज़ भी ,
चावल दाल की तरह ,
नरम पड़ जाता है
७
औरतें,
बिजली सी होती है
घर को चमकाती है
घर की साफसफाई भी करती है,
और खाना भी पकाती है
मौसम और मूड के अनुसार ,
घर को ठंडा या गर्म भी कर देती है
और गलती से छू लो ,
तो झटका भी देती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'