बुढ़ापा घेर रहा है
धीरे-धीरे अब यौवन मुंह फेर रहा है
बुढ़ापा घेर रहा है
थका थका सा तन लगता है सांझ सवेरे
आसपास आंखों के छाए काले घेरे
अब थोड़ा ऊंचा भी सुनने लगे कान है
थोड़ी सी मेहनत कर लो ,आती थकान है
नहीं पुराने जैसी अब यह कंचन काया
मांसपेशियां ढीली है, तन है झुर्राया
तरह-तरह की बीमारी ने घेर रखा है
जो भी खाते, उसको पाते नहीं पचा है
बड़ा-बड़ा सा रहता है तन में ब्लड प्रेशर
डायबिटीज है, बढ़ी हुई है खूं में शक्कर
सर सफेद है और हुई कमजोर नजर है
घुटने करते दर्द ,हड्डियां भी जर्जर है
बदले हैं हालात कोई भी ध्यान न देता
करें न ढंग से बात, कोई सम्मान न देता
जिस पर प्यार लुटाया वह मुंह फेर रहा है
बुढ़ापा घेर रहा है
मदन मोहन बाहेती घोटू