Friday, April 8, 2016

तो कहो क्या बात है

             तो कहो क्या बात है

चाय तक की भी कभी ना ,पूछता कंजूस जो,
        घर बुला,बोतल भी  ही खोले ,तो कहो  क्या बात है 
कोई महिला रूपसी ,मुस्काये,तुमको लिफ्ट दे,
           और अंकल भी न बोले , तो  कहो क्या बात  है
करने को भगवान का दर्शन जो मंदिर जाओ तुम,
            खाने  भंडारा मिले जो , तो कहो  क्या बात है
भाग्य से बिल्ली के इसको कहते छींका टूटना,
            रहे चलते सिलसिले जो, तो कहो क्या बात है
पहने वो मलमल का कुरता ,और वो भी हो सफेद ,
            पानी में हो तरबतर जो ,तो कहो क्या बात है
इसको कहते, देता देने वाला छप्पर फाड़ के
       मुंह में फिर तो घी और शक्कर ,तो कहो क्या बात है  

 मदन मोहन बाहेती'घोटू'
         

 

यही अंजाम होता है

     यही अंजाम होता है

अगर शादी करो तुम तो ,यही अंजाम होता है
तुम्हारी बीबी के पीछे ,तुम्हारा  नाम होता है
प्रबल है बल नहीं होता,प्रबल स्थान होता है
गाँव की चीज ,मालों में ,चौगुना दाम होता है
सामने तारीफें करके ,किसीके चाटना तलवे,
बुराई पीठ  के पीछे , बुरा  ये  काम  होता  है
जहां पर आस्था होती,वहां शांति बरसती है ,
जहाँ पर राम ना होते, वहां कोहराम होता है
प्रेम से गाल तुम्हारे ,सिरफ सहलाती बीबी है ,
दूसरा जो ये कर सकता  ,वो हज्जाम होता है

घोटू 

बदकिस्मती

 बदकिस्मती

मेरी बदकिस्मती की इंतहां अब और क्या होगी ,
       कि जब भी 'केच' लपका ,'बाल' वो 'नो बाल 'ही निकली
ख़रीदे टिकिट कितने ही ,बड़ी आशा लगा कर के,
          हमारी  लॉटरी  लेकिन ,नहीं  एक  बार ही  निकली
हमेशा जिंदगी में एक ऐसा दौर आता है ,
            हमे  मालूम  पड़ता जब कि क्या होती है बदहाली
सिखाता वो रहा हमको ,कि कैसे जीते मुश्किल में ,
               और हम व्यर्थ में  उसको ,यूं  ही  देते  रहे गाली
  
 घोटू