आपने हमको बुलाया,आगये,आपने दुत्कार दी,हम चल दिये
हम तो है वो पेड़ जिस पर आपने,फेंका जो पत्थर तो हमने फल दिये
फलो,फूलो ,और हरदम खुश रहो,हमने आशीर्वाद ये हर पल दिये
भले ही हमको सताया,तंग किया,भृकुटियों पर नहीं हमने बल दिये
सीख चलना,थाम उंगली हमारी,अंगूठा हमको दिखा कर चल दिये
क्या पता था कि ढकेंगे उसी को ,सूर्य ने तप कर के जो बादल दिये
जब तलक था तेल हम जलते रहे,दूर अंधियारे सभी ,जल जल किये
हमको ये संतोष है कि आपने,हमको खुशियों के कभी दो पल दिये
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
हम तो है वो पेड़ जिस पर आपने,फेंका जो पत्थर तो हमने फल दिये
फलो,फूलो ,और हरदम खुश रहो,हमने आशीर्वाद ये हर पल दिये
भले ही हमको सताया,तंग किया,भृकुटियों पर नहीं हमने बल दिये
सीख चलना,थाम उंगली हमारी,अंगूठा हमको दिखा कर चल दिये
क्या पता था कि ढकेंगे उसी को ,सूर्य ने तप कर के जो बादल दिये
जब तलक था तेल हम जलते रहे,दूर अंधियारे सभी ,जल जल किये
हमको ये संतोष है कि आपने,हमको खुशियों के कभी दो पल दिये
मदन मोहन बाहेती'घोटू'